बाबा रामदेव जी एक प्रसिद्ध लोक देवता हैं। उनकी पूजा राजस्थान और गुजरात जैसे कई राज्यों में की जाती है। उनकी महिमा और कथाएं सदियों से लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। रणुजा बाबा रामदेव जी का जन्म कब और कहां हुआ था Baba Ramdev Ji
बाबा रामदेव जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल द्वितीया वि.स.1409 को रुणिचा में हुआ था। यह जानकारी उनके अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमें उनके जीवन और दर्शन को समझने में मदद करती है।
इस लेख में, हम बाबा रामदेव जी के जन्म के बारे में चर्चा करेंगे। हम उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण कथाओं और तथ्यों को भी उजागर करेंगे।
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) का ऐतिहासिक महत्व
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) का ऐतिहासिक महत्व राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत में बहुत महत्वपूर्ण है। उनकी कहानी और जीवन के पहलू ने राजस्थान और पूरे भारत के इतिहास में अपनी जगह बनाई है।
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) को राजस्थान के लोकदेवता के रूप में जाना जाता है। उनकी लोकप्रियता विभिन्न धर्मों और जातियों में है। यह उनकी महत्ता को और भी बढ़ाती है।
राजस्थान के लोकदेवता के रूप में पहचान
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) को राजस्थान के एक प्रमुख लोकदेवता के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा और श्रद्धा राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में देखी जाती है।
- वे हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा पूजनीय हैं।
- उनकी कहानियां और चमत्कार लोकगीतों और कथाओं में जीवित हैं।
- रामदेव जी का मंदिर, जो रुणेचा में स्थित है, एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
विभिन्न धर्मों और जातियों में लोकप्रियता
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) की लोकप्रियता केवल एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं है। वे विभिन्न धर्मों और जातियों के लोगों के लिए एक साझा धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक हैं।
उनकी इस व्यापक स्वीकार्यता के कारण हैं:
- उनका संदेश प्रेम, करुणा और एकता का है।
- वे सामाजिक समरसता और धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक हैं।
- उनकी कहानियां और उपदेश विभिन्न धर्मों के लोगों को आकर्षित करती हैं।
इस प्रकार, बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) का ऐतिहासिक महत्व न केवल राजस्थान के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए है। उनकी कहानी और उपदेश आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। वे एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं।
रणुजा बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) का जन्म कब और कहां हुआ था
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) का जन्म विक्रम संवत 1409 में भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को हुआ था। यह उनके जीवन को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उनके जन्म के समय और स्थान को जानने के लिए हमें ऐतिहासिक प्रमाणों का सहारा लेना पड़ता है।
जन्म तिथि के ऐतिहासिक प्रमाण
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) की जन्म तिथि के बारे में कई ऐतिहासिक ग्रंथ और लोककथाएं हैं। विक्रम संवत 1409 को ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदलने से हमें उनकी जन्म तिथि पता चलती है।
विक्रम संवत और ग्रेगोरियन कैलेंडर में तिथि
विक्रम संवत 1409 में भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को ग्रेगोरियन कैलेंडर में लगभग 1352 ईस्वी में बदला जा सकता है। यह तिथि बाबा रामदेव जी के जन्म के समय का ऐतिहासिक महत्व बताती है।
विक्रम संवत | ग्रेगोरियन कैलेंडर | तिथि |
---|---|---|
1409 | 1352 ईस्वी | भाद्रपद शुक्ल द्वितीया |
जन्मस्थल रुणेचा गांव का परिचय
रुणेचा गांव, जिसे अब रामदेवरा कहा जाता है, राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। यह गांव बाबा रामदेव जी के जन्म के कारण एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है।
रुणेचा गांव का भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व
रुणेचा गांव का भौगोलिक महत्व है। यह जैसलमेर जिले का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, यह गांव बाबा रामदेव जी की शिक्षाओं और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं का केंद्र है।
रुणेचा गांव में बाबा रामदेव जी का जन्म एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने उनके जीवन और उनकी शिक्षाओं को आकार दिया।
रामदेव जी के माता-पिता और वंशावली
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) के माता-पिता और उनकी वंशावली के बारे जानना बहुत महत्वपूर्ण है। यह उनके जीवन को समझने में मदद करता है। उनके माता-पिता और वंश का इतिहास उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
माता कमलादे और पिता अजमल तंवर का परिचय
बाबा रामदेव जी के पिता अजमल जी तंवर राजपूत थे। उनकी माता का नाम मेना दे था। उनके माता-पिता दोनों ही अपने समय में प्रसिद्ध थे।
अजमल जी तंवर बहुत साहसी और वीर थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ीं। उनकी माता मेना दे एक धार्मिक और परोपकारी महिला थीं।
तंवर राजपूत वंश का इतिहास और परंपराएं
तंवर राजपूत वंश का इतिहास बहुत ही गौरवशाली है। इस वंश के लोग अपनी वीरता, साहस, और शौर्य के लिए जाने जाते थे।
तंवर राजपूतों की परंपराओं में युद्ध कौशल, शस्त्र संचालन, और घुड़सवारी प्रमुख थीं।
- तंवर राजपूत वंश की वीरता और साहस
- धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का पालन
- युद्ध कौशल और शस्त्र संचालन में प्रवीणता
इन परंपराओं और मूल्यों ने बाबा रामदेव जी के जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जन्म के समय की ऐतिहासिक और सामाजिक परिस्थितियां
14वीं शताब्दी के राजस्थान में राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल था। इस समय बाबा रामदेव जी का जन्म हुआ था। राजस्थान उस समय विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र था।
इन गतिविधियों ने बाबा रामदेव जी के जीवन और उपदेशों पर गहरा प्रभाव डाला।
14वीं शताब्दी का राजस्थान: राजनीतिक परिदृश्य
14वीं शताब्दी में राजस्थान एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र था। यहाँ विभिन्न राजपूत राजवंशों का शासन था। शक्ति संघर्ष और राजनीतिक गठबंधन आम थे।
इस समय के प्रमुख राजनीतिक परिदृश्य को समझने के लिए, हमें कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना होगा।
- राजपूत राजवंशों की शक्ति और उनके आपसी संघर्ष
- दिल्ली सल्तनत का प्रभाव और उसके साथ राजपूत राज्यों के संबंध
- स्थानीय शासकों की स्वतंत्रता और उनके प्रशासनिक ढांचे
राजनीतिक कारक | विवरण | प्रभाव |
---|---|---|
राजपूत राजवंश | विभिन्न राजपूत राजवंशों का शासन | शक्ति संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता |
दिल्ली सल्तनत | दिल्ली सल्तनत का प्रभाव बढ़ना | स्थानीय शासकों पर प्रभाव और उनके साथ संबंध |
स्थानीय शासन | स्थानीय शासकों की स्वतंत्रता | प्रशासनिक ढांचे में विविधता |
तत्कालीन सामाजिक-धार्मिक परिवेश
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) के जन्म के समय, राजस्थान का सामाजिक-धार्मिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण था। यहाँ विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग रहते थे।
धार्मिक सहिष्णुता का माहौल था।
इस समय के सामाजिक-धार्मिक परिवेश को समझने के लिए, हमें कुछ बातों पर ध्यान देना होगा।
- विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की उपस्थिति
- जाति व्यवस्था और सामाजिक पदानुक्रम
- धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलनों का प्रभाव
इन परिस्थितियों में बाबा रामदेव जी का जन्म हुआ। उन्होंने अपने जीवनकाल में सामाजिक और धार्मिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।
रामदेव जी के जन्म से जुड़ी लोककथाएं और चमत्कार (Baba Ramdev Ji Ka Janam Kaha Hua Tha)
रणुजा बाबा रामदेव जी के जन्म के बारे में कई दिव्य कथाएं हैं। उनके जन्म से पहले की भविष्यवाणियों, जन्म के समय की अद्भुत घटनाओं, और बचपन के चमत्कारों का वर्णन किया गया है।
जन्म के पूर्व की भविष्यवाणियां
बाबा रामदेव जी के जन्म से पहले कई भविष्यवाणियां हुई थीं। उनके माता-पिता को स्वप्न में दैवीय संकेत मिले थे। ये संकेत उनके भविष्य की महानता की ओर इशारा करते थे।
जन्म के समय की अलौकिक घटनाएं
जन्म के समय, आकाश में अद्भुत प्रकाश और दिव्य ध्वनियां देखी गईं। ये घटनाएं लोगों को यह विश्वास दिलाई कि रामदेव जी का जन्म विशेष था।
बचपन के प्रारंभिक चमत्कार
बचपन से ही रामदेव जी ने कई चमत्कार दिखाए। उनकी यह क्षमता लोगों को आश्चर्यचकित करती थी।
लोककथाओं में रामदेव जी का जन्म
लोककथाओं में रामदेव जी के जन्म की कहानी बहुत रोचक है। इन कथाओं में उनके जन्म के समय और बचपन का वर्णन किया गया है।
चमत्कार | विवरण |
---|---|
जन्म के पूर्व की भविष्यवाणियां | माता-पिता को स्वप्न में दैवीय संकेत |
जन्म के समय की अलौकिक घटनाएं | आकाश में अद्भुत प्रकाश और दिव्य ध्वनियां |
बचपन के प्रारंभिक चमत्कार | लोगों को आश्चर्यचकित करने वाले चमत्कार |
जन्मस्थल रुणेचा का वर्तमान स्वरूप और महत्व
रुणेचा, जहां बाबा रामदेव जी का जन्म हुआ, अब एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यहाँ का रामदेवरा मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
रामदेवरा मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
रामदेवरा मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी वास्तुकला में स्थानीय राजपूत और मुगल शैलियों का मिश्रण है।
मंदिर के निर्माण में उपयोग किए गए पत्थर और नक्काशी इसकी भव्यता को दर्शाते हैं।
मंदिर के अंदरूनी हिस्से में बाबा रामदेव जी की समाधि है। यह श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक पवित्र मानी जाती है।
यहाँ की वास्तुकला न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह कलात्मक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
तीर्थ स्थल के रूप में विकास और यात्रा
रुणेचा या रामदेवरा आज एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है। देश-विदेश से श्रद्धालु बाबा रामदेव जी के दर्शन करने आते हैं।
यहाँ की यात्रा को धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव माना जाता है।
तीर्थ यात्रियों के लिए यहाँ विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसमें आवास, भोजन, और दर्शन के लिए सुव्यवस्थित व्यवस्था शामिल है।
जन्मस्थल पर आयोजित होने वाले उत्सव
बाबा रामदेव जी के जन्मस्थल पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किए जाते हैं। इनमें प्रमुख है बाबा रामदेव जी का जन्मोत्सव, जो बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
इन उत्सवों के दौरान, यहाँ की सजावट, लोक संगीत, और नृत्य के आयोजन होते हैं। ये आयोजन इस स्थल की धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रदर्शित करते हैं।
रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) के जन्म से जुड़े विवाद और वैज्ञानिक अध्ययन
रणुजा बाबा रामदेव जी के जन्म की तिथि पर इतिहासकारों के मतभेद हैं। यह विवाद उनके जन्म की तिथि से लेकर ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भों तक फैला हुआ है।
विभिन्न इतिहासकारों के मत
बाबा रामदेव जी के जन्म के बारे में इतिहासकारों के मतभेद हैं। कुछ लोग उनका जन्म 14वीं शताब्दी में मानते हैं, जबकि अन्य 15वीं शताब्दी में होने की बात करते हैं।
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बाबा रामदेव जी का जन्म 1384 ईस्वी में हुआ था।
- अन्य विद्वानों का मत है कि उनका जन्म 1400 ईस्वी के आसपास हुआ था।
इन मतभेदों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसमें प्राचीन ग्रंथों की व्याख्या में अंतर और ऐतिहासिक रिकॉर्डों की उपलब्धता शामिल है।
प्राचीन ग्रंथों और अभिलेखों में उल्लेख
बाबा रामदेव जी के जन्म के बारे में प्राचीन ग्रंथों और अभिलेखों में कई उल्लेख हैं। इनमें से कुछ प्रमुख स्रोत हैं:
- पुराने राजस्थानी ग्रंथ और कविताएं
- मंदिरों और स्मारकों पर लगे शिलालेख
- प्राचीन पांडुलिपियाँ और दस्तावेज़
इन स्रोतों का अध्ययन करके, हम बाबा रामदेव जी के जन्मकाल और उनके जीवन के अन्य पहलुओं पर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन प्राचीन स्रोतों की व्याख्या में भी विभिन्नता हो सकती है। यह इस विषय पर और अधिक शोध की आवश्यकता को दर्शाता है।
रामदेव जी का बचपन और प्रारंभिक जीवन
रामदेव जी के बचपन की कहानियां उनकी महानता को दिखाती हैं। ये उनके आध्यात्मिक सफर को भी उजागर करती हैं। उनके जीवन के इस पहलू से हमें उनके व्यक्तित्व और शिक्षाओं के बारे में जानकारी मिलती है।
बचपन की शिक्षा और संस्कार
बाबा रामदेव जी को बचपन से ही धार्मिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी गई थी। उनकी माता कमलादे और पिता अजमल तंवर ने उन्हें राजपूत परंपराओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार संस्कार दिए।
- उन्हें वेदों और पुराणों की शिक्षा दी गई।
- उन्हें युद्ध कला और शस्त्र संचालन की भी शिक्षा मिली।
- उनके माता-पिता ने उन्हें दान-पुण्य और परोपकार के महत्व को समझाया।
किशोरावस्था की महत्वपूर्ण घटनाएं
जैसे ही रामदेव जी किशोरावस्था में पहुंचे, उनके जीवन में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। ये घटनाएं उनके भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं।
इन घटनाओं में शामिल हैं:
- उन्होंने अपने आसपास के लोगों की पीड़ा और समस्याओं को देखा और समझा।
- उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और असमानताओं को दूर करने का संकल्प लिया।
- उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त किया।
आध्यात्मिक जागृति के प्रारंभिक संकेत
रामदेव जी के जीवन में आध्यात्मिक जागृति के संकेत उनके बचपन और किशोरावस्था से ही दिखाई देने लगे थे।
- उन्होंने ध्यान और योग के माध्यम से अपनी आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास किया।
- उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन कर उनके उपदेशों को अपने जीवन में लागू किया।
- उन्होंने लोगों को सही मार्ग दिखाने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया।
रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) के जन्मदिवस का उत्सव और परंपराएं
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) का जन्मदिवस बहुत महत्वपूर्ण है। यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष द्वितीया से दसमी तक मनाया जाता है। रामदेवरा में विशेष आयोजन होते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में लोग अपनी परंपराओं का पालन करते हैं।
रामदेव जी के जन्मदिवस के अवसर पर समारोह बहुत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं।
इन समारोहों में श्रद्धालुओं की भारी भागीदारी होती है।
रामदेवरा में जन्मोत्सव समारोह
रामदेवरा में आयोजित समारोह बहुत भव्य होता है। मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है।
विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
जन्मोत्सव के दौरान रामदेवरा में कई आकर्षण होते हैं।
- विशेष पूजा और आरती
- धार्मिक प्रवचन और कीर्तन
- सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य
- भंडारे और लंगर का आयोजन
इन आयोजनों में भाग लेकर लोग पुण्य कार्य में संलग्न होते हैं।
वे रामदेव जी की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में मनाई जाने वाली परंपराएं
विभिन्न क्षेत्रों में रामदेव जी के जन्मदिवस के अवसर पर अलग-अलग परंपराएं मनाई जाती हैं।
क्षेत्र | मनाई जाने वाली परंपराएं |
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राजस्थान | रामदेवरा में भव्य मेला, धार्मिक अनुष्ठान |
गुजरात | विशेष पूजा, कीर्तन और भजन |
महाराष्ट्र | लंगर और भंडारे का आयोजन |
इन परंपराओं के माध्यम से रामदेव जी की शिक्षाएं और आदर्श जीवित रहते हैं।
इस प्रकार, रामदेव जी का जन्मदिवस एक धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) के उपदेश और समाज पर प्रभाव
रामदेव जी ने समाज में समानता और धार्मिक एकता के लिए काम किया। उनके विचारों ने लोगों को एकजुट किया।
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) ने समाज में जाति और धर्म के भेदभाव को खत्म करने का प्रयास किया। उन्होंने सिखाया कि हम सभी समान हैं। हमें एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान दिखाना चाहिए।
सामाजिक समानता का संदेश
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) ने समाज में समानता के लिए बोला। उन्होंने कहा कि समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं होनी चाहिए। सभी को समान अवसर मिलना चाहिए।
- जातिगत भेदभाव का विरोध
- सामाजिक न्याय की वकालत
- समानता और बंधुत्व की भावना का प्रचार
धार्मिक समन्वय और एकता के प्रयास
रामदेव जी ने विभिन्न धर्मों के लोगों को एक साथ लाने का काम किया। उनके विचारों में विभिन्न धर्मों के मूल सिद्धांत शामिल थे।
- विभिन्न धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा देना
- धार्मिक सहिष्णुता का प्रचार
- सामाजिक एकता के लिए काम करना
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) के प्रयासों ने समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाला। उनके विचारों ने लोगों के जीवन में बदलाव लाया।
निष्कर्ष
बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) का जीवन आज भी लोगों को प्रेरित करता है। उनका जन्म एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है। यह घटना ने उन्हें राजस्थान के लोकदेवता के रूप में स्थापित किया।
रामदेव बाबा का जन्म कब हुआ, इसके बारे में इतिहासकारों के मतभेद हैं। लेकिन उनकी जन्म तिथि के ऐतिहासिक प्रमाण और लोककथाएं उनके महत्व को दर्शाती हैं।
रुणेचा गांव, जहां रामदेव जी का जन्म हुआ, आज एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां श्रद्धालु उनकी पूजा-अर्चना करने आते हैं। उनके जन्म और जीवन से जुड़ी कथाएं और चमत्कार उनकी लोकप्रियता का कारण हैं।
आज भी, रामदेव जी के उपदेश समाज में एकता और समानता का संदेश देते हैं। उनके जन्मोत्सव और अन्य उत्सवों के माध्यम से उनकी विरासत जीवित रखी जा रही है।
FAQ: रणुजा बाबा रामदेव जी (Baba Ramdev Ji) का जन्म कब और कहां हुआ था
रणुजा बाबा रामदेव जी का जन्म कब हुआ था?
बाबा रामदेव जी का जन्म विक्रम संवत् 1400 के आसपास हुआ था। यह 14वीं शताब्दी के आसपास का समय है।
रणुजा बाबा रामदेव जी का जन्म कहां हुआ था?
उनका जन्म रुणेचा गांव में हुआ था। अब यह रामदेवरा के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के जैसलमेर जिले में है।
बाबा रामदेव जी के माता-पिता कौन थे?
उनके पिता अजमल जी तंवर थे। माता मेना दे (कमलादे भी) थीं।
बाबा रामदेव जी के जन्म से जुड़ी क्या लोककथाएं हैं?
उनके जन्म से पहले भविष्यवाणियां हुईं। जन्म के समय अलौकिक घटनाएं हुईं। यह उनकी महानता को दर्शाती हैं।
रामदेवरा मंदिर का महत्व क्या है?
यह बाबा रामदेव जी का जन्मस्थल है। यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां दूर-दूर से लोग आते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
बाबा रामदेव जी का समाज पर क्या प्रभाव था?
उन्होंने सामाजिक समानता का संदेश दिया। उन्होंने धार्मिक समन्वय के प्रयास किए। इससे समाज में एकता और सद्भावना बढ़ी।
बाबा रामदेव जी के जन्मदिवस का उत्सव कैसे मनाया जाता है?
उनके जन्मदिवस पर रामदेवरा में बड़ा समारोह होता है। इसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। वे विभिन्न परंपराओं का पालन करते हैं।
बाबा रामदेव जी की वंशावली क्या है?
वे तंवर राजपूत वंश से ताल्लुक रखते थे। यह एक प्रतिष्ठित राजपूत वंश है।