
भारत में विवाह बहुत बड़ा मौका है। इसमें शुभ मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण है। 2026 में कई शुभ विवाह तिथियां हैं जो आपके जीवन को सुखी बना सकती हैं। शादी मुहूर्त 2026 मिथिला पंचांग
विवाह के लिए सही तिथि चुनने में ज्योतिष का महत्व बहुत है। मिथिला पंचांग एक प्रमुख ज्योतिषीय स्रोत है। यह विवाह के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी देता है।
इस लेख में, हम 2026 के लिए मिथिला पंचांग के अनुसार शुभ विवाह तिथियों का अवलोकन करेंगे। हम आपको बताएंगे कि आप अपने विवाह के लिए कैसे सही तिथि चुन सकते हैं। (Shadi Muhurat 2026 Mithila Panchang)
मुख्य बिंदु
- 2026 में विवाह के लिए शुभ तिथियों की जानकारी
- मिथिला पंचांग के अनुसार विवाह मुहूर्त का महत्व
- विवाह के लिए उपयुक्त तिथि का चयन करने की विधि
- ज्योतिषीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी का उपयोग
- दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि के लिए शुभ मुहूर्त का महत्व
मिथिला पंचांग और विवाह मुहूर्त का महत्व
मिथिला पंचांग एक कैलेंडर है, लेकिन यह विशेष रूप से विवाह और अन्य महत्वपूर्ण जीवन घटनाओं के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारित करने में मदद करता है। मिथिला क्षेत्र में विवाह के लिए मिथिला पंचांग का विशेष महत्व है। यह प्राचीन परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं में निहित है।
मिथिला पंचांग का इतिहास और परंपरा
मिथिला पंचांग की अपनी एक विशिष्टता और समृद्ध इतिहास है। यह अन्य पंचांगों से अलग बनाता है।
मिथिला पंचांग की विशेषताएँ
मिथिला पंचांग अपनी विस्तृत ज्योतिषीय गणनाओं और धार्मिक अनुष्ठानों के कारण प्रसिद्ध है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- विस्तृत तिथि और नक्षत्र गणना
- विवाह और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ मुहूर्त का निर्धारण
- पारंपरिक ज्योतिषीय विधियों का पालन
अन्य पंचांगों से तुलना
मिथिला पंचांग की तुलना अन्य पंचांगों से करने पर कुछ महत्वपूर्ण अंतर स्पष्ट होते हैं। निम्नलिखित तालिका में इसकी तुलना की गई है:
विशेषता | मिथिला पंचांग | अन्य पंचांग |
---|---|---|
तिथि गणना विधि | पारंपरिक मिथिला विधि | विविध, क्षेत्र अनुसार भिन्न |
नक्षत्र महत्व | अधिक महत्व | कम या भिन्न |
विवाह मुहूर्त | विशेष मुहूर्तों का निर्धारण | सामान्य मुहूर्त निर्धारण |
विवाह मुहूर्त का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
विवाह मुहूर्त का निर्धारण मिथिला पंचांग के आधार पर किया जाता है। यह धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
धार्मिक महत्व: विवाह मुहूर्त का धार्मिक महत्व इस प्रकार है:
- शुभ तिथि और नक्षत्र का चयन
- धार्मिक अनुष्ठानों का पालन
- पारंपरिक रीति-रिवाजों का निर्वहन
ज्योतिषीय महत्व: ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, विवाह मुहूर्त का महत्व ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति पर आधारित होता है।
शादी मुहूर्त 2026 मिथिला पंचांग – वर्ष का सिंहावलोकन (Shadi Muhurat 2026 Mithila Panchang)
वर्ष 2026 में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त ढूंढने में, मिथिला पंचांग का उपयोग करना जरूरी है। इसमें नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करना होता है। यह जानकारी विवाह की तिथि निर्धारित करने में मदद करती है। यह सुनिश्चित भी करती है कि चुनी गई तिथि शुभ हो।
2026 में विवाह के लिए शुभ नक्षत्र और ग्रह स्थिति
2026 में विवाह के लिए शुभ नक्षत्र और ग्रह स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिष के अनुसार, कुछ नक्षत्र और ग्रह विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
- शुभ नक्षत्र: रोहिणी, मृगशिरा, और अनुराधा नक्षत्र विवाह के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
- शुभ ग्रह स्थिति: बृहस्पति और शुक्र की शुभ स्थिति विवाह के लिए उत्तम मानी जाती है।
इन नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति का अवलोकन करके, आप अपने विवाह के लिए सबसे शुभ समय चुन सकते हैं।
2026 में विवाह के लिए अशुभ समय और त्यौहार
विवाह के लिए अशुभ समय और त्यौहारों का ज्ञान भी महत्वपूर्ण है। कुछ समय और त्यौहार विवाह करने के लिए उपयुक्त नहीं होते।
- अशुभ समय: मलमास और ग्रहण के समय विवाह करना अशुभ माना जाता है।
- त्यौहार: प्रमुख त्यौहारों जैसे कि दिवाली, दशहरा, और होली के आसपास के समय में विवाह करना आमतौर पर टाला जाता है।
इन अशुभ समयों और त्यौहारों से बचकर, आप अपने विवाह के लिए एक शुभ और मंगलकारी समय चुन सकते हैं।
जनवरी-मार्च 2026 के शादी मुहूर्त (Shadi Muhurat 2026 Mithila Panchang)
मिथिला पंचांग के अनुसार, जनवरी से मार्च 2026 तक के विवाह मुहूर्त हैं। यहाँ तीन महीनों के लिए शुभ दिनों की जानकारी दी गई है।
जनवरी 2026 के शुभ विवाह दिन
जनवरी 2026 में कई शुभ दिन हैं। यहाँ कुछ प्रमुख तिथियाँ दी गई हैं:
- माघ मास के दौरान पड़ने वाले शुभ दिन
- वसंत पंचमी के आसपास के मुहूर्त
माघ मास के विशेष मुहूर्त
माघ मास बहुत महत्वपूर्ण है। इस महीने के विशेष मुहूर्त हैं:
- जनवरी 5, 2026
- जनवरी 17, 2026
- जनवरी 29, 2026
वसंत पंचमी के आसपास के मुहूर्त
वसंत पंचमी ज्ञान और कला की देवी सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इसके आसपास के दिन शुभ माने जाते हैं:
- जनवरी 31, 2026 (वसंत पंचमी के बाद)
- जनवरी 30, 2026 (वसंत पंचमी के एक दिन पहले)
फरवरी 2026 के शुभ विवाह दिन
फरवरी 2026 में भी कई शुभ दिन हैं। यहाँ कुछ प्रमुख तिथियाँ दी गई हैं:
- फरवरी 2, 2026
- फरवरी 13, 2026
- फरवरी 25, 2026
मार्च 2026 के शुभ विवाह दिन
मार्च 2026 में होली के बाद के दिन शुभ माने जाते हैं।
होली के बाद के शुभ मुहूर्त
होली के बाद के दिन विवाह के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं। यहाँ कुछ तिथियाँ दी गई हैं:
- मार्च 15, 2026 (होली के बाद)
- मार्च 20, 2026
- मार्च 28, 2026
अप्रैल-जून 2026 के शादी मुहूर्त
मिथिला पंचांग के अनुसार, अप्रैल से जून 2026 तक विवाह के लिए शुभ दिन हैं। यह जानकारी आपको विवाह के लिए सही दिन चुनने में मदद करेगी।
अप्रैल 2026 के शुभ विवाह दिन
अप्रैल 2026 में कई शुभ दिन हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दिन हैं:
- अप्रैल 5, 2026
- अप्रैल 12, 2026
- अप्रैल 19, 2026
- अप्रैल 26, 2026
इन दिनों में ग्रहों की स्थिति विवाह के लिए अनुकूल है।
मई 2026 के शुभ विवाह दिन
मई 2026 में भी कई शुभ दिन हैं। इनमें शामिल हैं:
- मई 3, 2026
- मई 10, 2026
- मई 17, 2026
- मई 24, 2026
अक्षय तृतीया का विशेष महत्व
मई 2026 में अक्षय तृतीया बहुत महत्वपूर्ण है। यह दिन विवाह के लिए शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया पर विवाह करने से जीवन सुखी और समृद्ध होता है।
जून 2026 के शुभ विवाह दिन
जून 2026 में विवाह के लिए निम्नलिखित दिन शुभ हैं:
- जून 7, 2026
- जून 14, 2026
- जून 21, 2026
- जून 28, 2026
ग्रीष्म ऋतु में विवाह के लिए विशेष सावधानियाँ
ग्रीष्म ऋतु में विवाह के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। तापमान और स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। विवाह समारोह में ठंडे पेय और छाया का प्रबंध करें।
जुलाई-सितंबर 2026 के शादी मुहूर्त
जुलाई, अगस्त, और सितंबर 2026 में विवाह के लिए शुभ तिथियाँ हैं। मिथिला पंचांग के अनुसार, इन महीनों में कई शुभ मुहूर्त हैं। ये मंगलकारी हो सकते हैं।
जुलाई 2026 के शुभ विवाह दिन
जुलाई 2026 में विवाह के लिए विशेष तिथियाँ हैं। यहाँ कुछ शुभ दिन दिए गए हैं:
- जुलाई 5, 2026
- जुलाई 12, 2026
- जुलाई 19, 2026
- जुलाई 26, 2026
इन तिथियों का चयन नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति पर आधारित है। यह विवाह के लिए अनुकूल है।
अगस्त 2026 के शुभ विवाह दिन
अगस्त 2026 में भी कई शुभ तिथियाँ हैं। यहाँ कुछ प्रमुख दिन हैं:
- अगस्त 2, 2026
- अगस्त 9, 2026
- अगस्त 16, 2026
- अगस्त 23, 2026
श्रावण मास की विशेषताएँ
अगस्त महीने में श्रावण मास होता है। यह भगवान शिव की पूजा के लिए पवित्र माना जाता है। इस महीने में विवाह के मुहूर्त विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
सितंबर 2026 के शुभ विवाह दिन
सितंबर 2026 में विवाह के लिए कई शुभ तिथियाँ हैं। यहाँ कुछ दिन दिए गए हैं:
- सितंबर 6, 2026
- सितंबर 13, 2026
- सितंबर 20, 2026
पितृ पक्ष के बाद के मुहूर्त
सितंबर में पितृ पक्ष के बाद के दिन विशेष रूप से शुभ होते हैं। पितृ पक्ष के बाद देवताओं के लिए शुभ समय आरंभ होता है।
इन तिथियों का चयन करते समय वर-वधू को अपने स्थानीय पंचांग और ज्योतिषीय सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
अक्टूबर-दिसंबर 2026 के शादी मुहूर्त
अक्टूबर से दिसंबर 2026 तक विवाह के शुभ दिन हैं। शरद ऋतु के विशेष मुहूर्त, देव उठनी एकादशी का महत्व, और धनु तथा मकर संक्रांति के मुहूर्त शामिल हैं।
अक्टूबर 2026 के शुभ विवाह दिन
अक्टूबर 2026 में विवाह के लिए निम्नलिखित दिन शुभ माने गए हैं:
- अक्टूबर 5, सोमवार
- अक्टूबर 12, सोमवार
- अक्टूबर 20, मंगलवार
शरद ऋतु के विशेष मुहूर्त
शरद ऋतु में विवाह के लिए विशेष मुहूर्त होते हैं। ये शांति और समृद्धि का प्रतीक हैं।
तारीख | दिन | मुहूर्त |
---|---|---|
अक्टूबर 10 | शनिवार | शुभ |
अक्टूबर 15 | गुरुवार | शुभ |
अक्टूबर 22 | गुरुवार | शुभ |
नवंबर 2026 के शुभ विवाह दिन
नवंबर 2026 में विवाह के लिए निम्नलिखित दिन शुभ हैं:
- नवंबर 2, सोमवार
- नवंबर 9, सोमवार
- नवंबर 16, सोमवार
देव उठनी एकादशी का महत्व
देव उठनी एकादशी के बाद विवाह मुहूर्त शुरू होते हैं। यह एक महत्वपूर्ण तिथि है।
दिसंबर 2026 के शुभ विवाह दिन
दिसंबर 2026 में विवाह के लिए निम्नलिखित दिन शुभ हैं:
- दिसंबर 1, मंगलवार
- दिसंबर 8, मंगलवार
- दिसंबर 15, मंगलवार
धनु और मकर संक्रांति के मुहूर्त
धनु और मकर संक्रांति के दौरान विवाह के मुहूर्त विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं।
तारीख | त्यौहार/मुहूर्त |
---|---|
दिसंबर 16 | धनु संक्रांति |
जनवरी 14 (अगले वर्ष) | मकर संक्रांति |
मिथिला क्षेत्र के विवाह के परंपरागत मुहूर्त 2026
मिथिला क्षेत्र में विवाह के मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये विवाह की शुभता और सफलता को निर्धारित करते हैं। यहाँ की विवाह परंपराएँ धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।
मिथिला की विवाह परंपराएँ और रीति-रिवाज
मिथिला की विवाह परंपराएँ बहुत विविध और समृद्ध हैं। कोहबर और सिंदूरदान के मुहूर्त विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
कोहबर में वर और कन्या के बीच प्रेम को प्रकट किया जाता है। इस दौरान, वे एक साथ बैठकर विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। यह उनके दांपत्य जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
सिंदूरदान में वर कन्या को सिंदूर लगाकर अपने प्रेम को दर्शाता है। यह एक महत्वपूर्ण रीति है।
कोहबर और सिंदूरदान के मुहूर्त
कोहबर और सिंदूरदान के मुहूर्त ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित होते हैं। इन मुहूर्तों का चयन ऐसा किया जाता है कि वे दोनों के लिए शुभ हों।
- कोहबर के लिए शुभ नक्षत्र और तिथियों का चयन किया जाता है।
- सिंदूरदान के लिए भी विशेष मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है, जो वर और कन्या के बीच प्रेम और समर्पण को और मजबूत बनाता है।
बिहार में शादी का सही समय और स्थानीय मान्यताएँ
बिहार में शादी का सही समय निर्धारित करने के लिए स्थानीय मान्यताएँ और ज्योतिषीय गणनाएँ महत्वपूर्ण हैं। यहाँ के लोग विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करने में विशेष ध्यान देते हैं।
बिहार में विवाह के लिए शुभ नक्षत्र और ग्रह स्थिति का विशेष महत्व है। यहाँ के लोग मानते हैं कि शुभ नक्षत्र और ग्रह स्थिति में किया गया विवाह दांपत्य जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है।
“विवाह के मुहूर्त का निर्धारण एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं का समावेश होता है।”
विवाह से पूर्व और पश्चात के शुभ मुहूर्त
सगाई से लेकर गृह प्रवेश तक, हर चरण में शुभ मुहूर्तों का ध्यान रखना आवश्यक है। विवाह एक महत्वपूर्ण जीवन घटना है, जिसमें कई शुभ मुहूर्तों का ध्यान रखा जाता है।
विवाह से पूर्व कई महत्वपूर्ण रस्में होती हैं, जिनमें से एक है सगाई और टीका। इन रस्मों के लिए भी शुभ मुहूर्तों का चयन बहुत जरूरी है।
सगाई और टीका के शुभ मुहूर्त
सगाई और टीका के लिए शुभ मुहूर्तों का चयन करते समय कई बातों का ध्यान रखना होता है। ज्योतिषीय स्रोतों के अनुसार, इन रस्मों के लिए शुभ नक्षत्र और ग्रह स्थिति का विशेष महत्व होता है।
सगाई के लिए शुभ मुहूर्त तय करते समय, रोहिणी, मृगशिरा, और अनुराधा नक्षत्र को बहुत शुभ माना जाता है।
मेहंदी और संगीत के शुभ मुहूर्त
विवाह से पूर्व होने वाली अन्य महत्वपूर्ण रस्में हैं मेहंदी और संगीत। इनके लिए भी शुभ मुहूर्तों का चयन आवश्यक है।
मेहंदी के लिए शुभ मुहूर्त में शुभ तिथि और वार का विशेष ध्यान रखा जाता है। आमतौर पर, बुधवार और शनिवार को मेहंदी के लिए शुभ माना जाता है।
शादी के लिए शुभ मेहंदी रंग
मेहंदी का रंग जितना गहरा होता है, उतना ही शुभ माना जाता है। गहरा लाल या गहरा भूरा रंग बहुत शुभ संकेत माना जाता है।
गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त
विवाह के बाद नवविवाहित जोड़े के लिए गृह प्रवेश एक महत्वपूर्ण रस्म है। इसके लिए भी शुभ मुहूर्त का चयन बहुत जरूरी है।
गृह प्रवेश के लिए शुभ तिथि, वार, और नक्षत्र का विशेष ध्यान रखा जाता है। आमतौर पर, शुक्ल पक्ष और रविवार, मंगलवार, गुरुवार को गृह प्रवेश के लिए शुभ माना जाता है।
विशेष विवाह मुहूर्त 2026
ज्योतिष के अनुसार, 2026 में कुछ विशेष विवाह मुहूर्त हैं। ये मुहूर्त अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद देते हैं। वैदिक ज्योतिष के आधार पर चुने जाते हैं, जो दंपत्य जीवन को सुखी बनाते हैं।
अखंड सौभाग्यवती मुहूर्त और उनका महत्व
अखंड सौभाग्यवती मुहूर्त विवाह के लिए शुभ होते हैं। इन मुहूर्तों में विवाह करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
- इन मुहूर्तों में विवाह करने से दांपत्य जीवन में सुख और शांति आती है।
- ये मुहूर्त विशेष रूप से वैदिक ज्योतिष द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
- इन मुहूर्तों में विवाह करने से पति-पत्नी के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ता है।
वैदिक मुहूर्त और उनकी विशेषताएँ
वैदिक मुहूर्त वैदिक ज्योतिष के अनुसार निर्धारित होते हैं। इन मुहूर्तों में विवाह करने से दंपति को विशेष लाभ होता है।
वैदिक मुहूर्त की विशेषताएँ:
- वैदिक मुहूर्त में विवाह करने से दंपति को आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ होता है।
- इन मुहूर्तों में विवाह करने से दंपति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
- वैदिक मुहूर्तों का चयन ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर किया जाता है।
विवाह के लिए शुभ लग्न
विवाह के लिए शुभ लग्न का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। लग्न कुंडली में लग्नेश की स्थिति और अन्य ग्रहों के प्रभाव को देखकर निर्धारित किया जाता है।
- शुभ लग्न में विवाह करने से दंपति को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- लग्न का चयन करते समय चंद्रमा और अन्य ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है।
शादी के मुहूर्त में पंचांग के पंच अंगों का महत्व
पंचांग के पंच अंग विवाह मुहूर्त के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण के आधार पर विवाह का शुभ समय निर्धारित किया जाता है।
तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का प्रभाव
पंचांग के पंच अंग विवाह मुहूर्त पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं:
- तिथि: तिथि विवाह मुहूर्त पर बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ तिथियाँ विशेष रूप से शुभ मानी जाती हैं।
- वार: सप्ताह के दिन भी विवाह मुहूर्त पर प्रभाव डालते हैं। कुछ दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
- नक्षत्र: नक्षत्र भी विवाह मुहूर्त में महत्वपूर्ण हैं। विभिन्न नक्षत्रों के आधार पर विवाह का समय चुना जाता है।
- योग: योग भी विवाह मुहूर्त को प्रभावित करते हैं। कुछ योग विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
- करण: करण भी विवाह मुहूर्त पर प्रभाव डालता है। इसका ध्यान रखकर विवाह का समय चुना जाता है।
विवाह मुहूर्त निर्धारण की वैज्ञानिक विधि
विवाह मुहूर्त निर्धारण के लिए ज्योतिषीय गणना का उपयोग किया जाता है। इस विधि में:
- ज्योतिषीय गणना: ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का विश्लेषण करके विवाह मुहूर्त निर्धारित किया जाता है।
- पंचांग विश्लेषण: पंचांग के पंच अंगों का विश्लेषण करके सबसे शुभ समय चुना जाता है।
इस वैज्ञानिक विधि का पालन करके, दंपत्ति अपने वैवाहिक जीवन को सुखद बना सकते हैं।
निष्कर्ष
शादी मुहूर्त2026 मिथिला पंचांग के अनुसार, हमने विभिन्न महीनों में शुभ विवाह तिथियों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। मिथिला पंचांग का महत्व और विवाह मुहूर्त का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व समझने से हमें अपने विवाह की तिथि तय करने में मदद मिलती है।
वर्ष2026 के लिए शुभ विवाह तिथियों का चयन करते समय, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, आप अपने विवाह के लिए सबसे शुभ मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।
मिथिला क्षेत्र की विवाह परंपराएँ और रीति-रिवाज भी विवाह मुहूर्त के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन परंपराओं और स्थानीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए, आप अपने विवाह को और भी अर्थपूर्ण बना सकते हैं।
शुभ विवाह तिथियों की जानकारी प्राप्त करके, आप अपने विवाह की योजना बना सकते हैं और एक सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।
FAQ: Shadi Muhurat 2026 Mithila Panchang
मिथिला पंचांग के अनुसार 2026 में सबसे शुभ विवाह तिथियां कौन सी हैं?
2026 में जनवरी से दिसंबर तक के शुभ विवाह मुहूर्त की जानकारी इस लेख में दी गई है। आप जनवरी से मार्च, अप्रैल से जून, जुलाई से सितंबर, और अक्टूबर से दिसंबर तक के महीनों के लिए शुभ तिथियों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
मिथिला क्षेत्र में विवाह के लिए कौन से मुहूर्त विशेष माने जाते हैं?
मिथिला क्षेत्र में विवाह के लिए कई विशेष मुहूर्त माने जाते हैं। इनमें अक्षय तृतीया, देव उठनी एकादशी, और धनु और मकर संक्रांति के मुहूर्त प्रमुख हैं।
विवाह के लिए शुभ नक्षत्र और ग्रह स्थिति का क्या महत्व है?
विवाह के लिए शुभ नक्षत्र और ग्रह स्थिति का बहुत महत्व है। ये दांपत्य जीवन की सुख-शांति और समृद्धि को प्रभावित करते हैं।
मिथिला पंचांग में पंचांग के पंच अंगों का क्या महत्व है?
मिथिला पंचांग में पंचांग के पंच अंग – तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण – का बहुत महत्व है। ये विवाह मुहूर्त के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विवाह से पूर्व और पश्चात के शुभ मुहूर्त कौन से हैं?
विवाह से पूर्व और पश्चात के शुभ मुहूर्त में सगाई और टीका, मेहंदी और संगीत, और गृह प्रवेश के मुहूर्त शामिल हैं।
अखंड सौभाग्यवती मुहूर्त का क्या महत्व है?
अखंड सौभाग्यवती मुहूर्त का बहुत महत्व है। यह दांपत्य जीवन की सुख-शांति और समृद्धि को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
मिथिला की विवाह परंपराएँ और रीति-रिवाज क्या हैं?
मिथिला की विवाह परंपराएँ और रीति-रिवाज बहुत समृद्ध हैं। इनमें कोहबर और सिंदूरदान के मुहूर्त प्रमुख हैं।
विवाह के लिए शुभ मेहंदी रंग का क्या महत्व है?
विवाह के लिए शुभ मेहंदी रंग का बहुत महत्व है। यह दुल्हन की सुंदरता और पति-पत्नी के प्रेम को दर्शाता है।
बिहार में शादी का सही समय क्या है?
बिहार में शादी का सही समय मिथिला पंचांग के अनुसार निर्धारित किया जाता है। इसमें विवाह के लिए शुभ तिथियों और मुहूर्तों का ध्यान रखा जाता है।