
हिंदू धर्म में पंचांग बहुत महत्वपूर्ण है। मिथिला पंचांग 2025 में 52 दिन हैं जब विवाह करना शुभ है। ये दिन नक्षत्र, योग और करण के आधार पर चुने जाते हैं। (Mithila Panchang 2025)
इस पंचांग में शुक्र और गुरु अस्त के समय विवाह नहीं करना चाहिए। मुहूर्त का चयन स्थान के आधार पर किया जाता है। विवाह में शुभ मुहूर्त और कुंडली मिलान बहुत महत्वपूर्ण हैं।
मुख्य बिंदु
- मिथिला पंचांग 2025 में 52 दिन विवाह के शुभ मुहूर्त हैं
- पंचांग नक्षत्र, योग और करण पर आधारित है
- शुक्र अस्त और गुरु अस्त में विवाह की सलाह नहीं
- मुहूर्त भौगोलिक स्थान के अनुसार दिए गए हैं
- विवाह में शुभ मुहूर्त और कुंडली मिलान का महत्व
मिथिला पंचांग का महत्व और भूमिका
मिथिला पंचांग हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की विस्तृत जानकारी देता है। यह विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र के लिए तैयार किया जाता है। इसमें शुद्धि और लग्न शुद्धि के आधार पर मुहूर्त निर्धारित किए जाते हैं।
पंचांग क्या है?
पंचांग हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण कैलेंडर है। यह तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की जानकारी देता है। यह कैलेंडर धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्तों की पहचान करने में मदद करता है।
मिथिला पंचांग की विशेषताएँ
- मिथिला पंचांग विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र के लिए तैयार किया जाता है।
- यह पंचांग शुद्धि और लग्न शुद्धि के आधार पर मुहूर्तों का निर्धारण करता है।
- मिथिला पंचांग में विवाह, गृह प्रवेश और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त दिए जाते हैं।
“मिथिला पंचांग हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण कैलेंडर है, जो तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की जानकारी प्रदान करता है।”
मिथिला पंचांग हिंदू समाज में विशेष महत्व रखता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्तों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उपयोग मिथिला क्षेत्र में व्यापक रूप से किया जाता है।
2025 में प्रमुख तिथियाँ
मिथिला क्षेत्र पंचांग के अनुसार, 2025 में कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत तिथियाँ आ रही हैं। नवरात्रि, दीपावली, छठ पूजा और मकर संक्रांति जैसे प्रमुख त्योहार शामिल हैं।
एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भी विशेष पूजा और व्रत के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
प्रमुख त्योहारों की सूची
- नवरात्रि
- दीपावली
- छठ पूजा
- मकर संक्रांति
विशेष पूजा और व्रत तिथियाँ
- एकादशी
- पूर्णिमा
- अमावस्या
मिथिला पंचांग में इन तिथियों के साथ-साथ शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम भी दिए गए हैं। हिंदू धर्म में इन तिथियों का विशेष महत्व है। इन्हें पालन करना शुभ माना जाता है।
महीना | शुभ विवाह तिथियाँ | शुभ गृह प्रवेश तिथियाँ |
---|---|---|
जनवरी 2025 | 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 26, 27 | नहीं |
फरवरी 2025 | 2, 3, 6, 7, 12, 13, 14, 15, 18, 19, 21, 23, 25 | 2, 3, 6, 7 |
मार्च 2025 | 1, 2, 6, 7, 12 | नहीं |
अप्रैल 2025 | 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29, 30 | 14 |
मई 2025 | नहीं | 1, 3, 7, 8, 10, 13, 14, 17, 19, 23 |
जून 2025 | नहीं | 15, 16 |
इन तिथियों को ख़ास महत्व दिया जाता है। मिथिला पंचांग में इन्हें विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया है। मैथिल पंचांग के अनुसार, ये तिथियाँ धार्मिक और सामाजिक प्रसंगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
शुभ मुहूर्त और उनका महत्व
मिथिला पंचांग 2025 में विवाह और गृह प्रवेश के लिए विशेष रूप से उल्लेखित शुभ मुहूर्तों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। ये मुहूर्त नक्षत्र, योग और करण के आधार पर चुने गए हैं। इन्हें चुनने से किए गए कार्य सफल और मंगलमय होते हैं।
विवाह के शुभ मुहूर्त
वर्ष 2025 में विवाह के लिए कुल 35 शुभ मुहूर्त पाए जाते हैं। इनमें से प्रमुख मुहूर्त निम्नानुसार हैं:
- नवंबर में 4 दिन
- दिसंबर में 5 दिन
- जनवरी में 7 दिन
- फरवरी में 10 दिन
- मार्च में 4 दिन
- अप्रैल में 7 दिन
- मई में 11 दिन
- जून में 4 दिन
गृह प्रवेश के मुहूर्त
मिथिला पंचांग 2025 में कुल 35 शुभ मुहूर्त गृह प्रवेश के लिए उल्लेखित हैं। इन मुहूर्तों का चयन नक्षत्र, योग और करण के आधार पर किया गया है।
इन मुहूर्तों का उपयोग करके गृह प्रवेश करना लाभप्रद होता है। मिथिला पंचांग का उपयोग कर शुभ मुहूर्तों की जानकारी प्राप्त करना हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है।
ये मुहूर्त नए घर में प्रवेश, विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए उपयोगी हैं।
चंद्रमा की गति और तिथियाँ
मिथिला पंचांग में चंद्रमा की गति बहुत महत्वपूर्ण है। यह शुक्ल और कृष्ण पक्ष के आधार पर तिथियों को निर्धारित करता है। पूर्णिमा और अमावस्या विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
चंद्रमा के चरणों के अनुसार, हमें शुभ और अशुभ समय पता चलता है। यह धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए उपयोगी होता है।
चंद्रमा के विभिन्न चरण
- भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन काल से विक्रमी पंचांग जैसे पंचांगों का उपयोग होता आ रहा है।
- हिन्दू पंचांग में एक दिन 60 निकट होते हैं। 1 घंटी में 60 पल होते हैं।
- चन्द्रमास 29.5 दिन का होता है। इसे 3600 पल में और 360 अंशों में विभाजित किया जाता है।
- तिथियों के नाम में पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या शामिल हैं।
चंद्रमा के आधार पर तिथियाँ
माह के अंत के दो प्रकार हैं – पूर्णिमांत और अमावस्यांत। ये पूर्णिमा और अमावस्या से माह का अंत करते हैं।
चंद्रमा की गति से तिथि का निर्धारण होता है। सप्ताह में सात दिन होते हैं जिनके आधार पर ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है।
चंद्रमा के चरण | विशेषताएं |
---|---|
नक्षत्र | आकाश में 27 नक्षत्र होते हैं जिनका मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। |
योग | कुल 27 योग होते हैं जो चंद्रमा और सूर्य के बीच की दूरी पर आधारित होते हैं। |
करण | तिथि के दो हिस्सों को करण कहा जाता है जो शुभ एवं अशुभ कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। |
हिन्दू पंचांग कैलेंडर 2025 फ्री ऑफलाइन ऐप में पूरे वर्ष 2025 के मासिक दृश्य का विवरण शामिल है। यह हिंदी कैलेंडर 2025 पंचांग कैलेंडर के किसी भी दिन जैसे पक्ष (शुक्ल और कृष्ण), योग, करण, नक्षत्र और वार के लिए है।
पंचांग में नवरात्रि की जानकारी
मिथिला पंचांग 2025 में नवरात्रि के बारे में विस्तार से बताता है। इसमें नवरात्रि की शुरुआत और समाप्ति की तिथियां दी गई हैं। साथ ही, विशेष पूजा विधियों का भी वर्णन किया गया है।
नवरात्रि की शुरुआत और समाप्ति
चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 30 मार्च से होगी। यह 6 अप्रैल 2025 तक चलेगी।
शरद नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू होगी। यह 1 अक्टूबर 2025 तक जारी रहेगी।
मार्ग गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी 2025 से शुरू होगी। यह 7 फरवरी 2025 तक चलेगी।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून 2025 से शुरू होगी। यह 4 जुलाई 2025 तक चलेगी।
विशेष पूजा विधियाँ
दुर्गा पूजा पांच दिनों तक मनाई जाती है। इसमें षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमी और विजयादशमी के दिन विशेष पूजा होती है।
पश्चिम बंगाल को छोड़कर, अधिकांश राज्यों में महालय अमावस्या के बाद घटस्थापना की जाती है। यह माता दुर्गा का आह्वान है।
शारदीय नवरात्रि की परंपराएँ स्थानीय स्तर पर भिन्न हो सकती हैं। यह नौ दिन से लेकर एक दिन तक चल सकती है।
देवी पक्ष महालय अमावस्या के बाद शुरू होता है। देवी का पृथ्वी पर आगमन देवी पक्ष के पहले दिन होता है।
देवी के आगमन और प्रस्थान के दिन भविष्य के परिणामों का अनुमान लगाने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
दुर्गा पूजा देवी पक्ष के पंद्रह दिनों तक चलती है। नवरात्रि, दुर्गोत्सव और शारदोत्सव के दौरान पूजनीय है।
इस पर्व में मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, श्री गणेश और श्री कार्तिकेय की पूजा भी की जाती है।
“नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन के लिए विशेष पूजा सामग्री, मंत्र और विधि का उल्लेख मिथिला पंचांग में दिया गया है।”
इस प्रकार, मिथिला पंचांग 2025 में नवरात्रि की शुरुआत, समाप्ति और विशेष पूजा विधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
कुंडली और पंचांग का संबंध
मिथिला पंचांग 2025 में जानकारी का उपयोग कुंडली बनाने में किया जाता है। जन्म समय के अनुसार नक्षत्र, राशि और लग्न का पता लगाया जाता है। इससे व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति का पता चल जाता है।
कुंडली में पंचांग का उपयोग
मिथिला कालेंडर 2025 और बिहार पंचांग का उपयोग करके कुंडली बनाई जा सकती है। इसमें ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है।
जन्म कुंडली बनाने की प्रक्रिया
जन्म समय, तिथि, नक्षत्र और लग्न के आधार पर कुंडली बनाई जाती है। इसमें व्यक्ति के जन्म के समय के अनुसार ग्रहों की स्थिति का विवरण होता है। यह कुंडली व्यक्ति के जीवन में होने वाले घटनाओं का अनुमान लगाने में मदद करती है।
मुहूर्त | तारीख | संख्या |
---|---|---|
उपनयन मुहूर्त | 21 जनवरी 2025 | 21 |
उपनयन मुहूर्त | 7 जुलाई 2025 | 5 |
उपनयन मुहूर्त | 16 अगस्त 2025 | 3 |
उपनयन मुहूर्त | 5 दिसंबर 2025 | 2 |
उपरोक्त तालिका में मिथिला कालेंडर 2025 के अनुसार विभिन्न महीनों में उपलब्ध उपनयन मुहूर्तों के विवरण दिए गए हैं।
2025 में ग्रह स्थिति और प्रभाव
मिथिला पंचांग 2025 में ग्रहों की स्थिति का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस वर्ष चार ग्रहण होंगे, जिनमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण शामिल हैं।
ग्रहों की स्थिति का अर्थ
ग्रहों की स्थिति के आधार पर, शुभ समय निर्धारित किया गया है। उदाहरण के लिए, शनि ग्रह का प्रवेश किसी राशि में उस राशि के लोगों पर विशेष प्रभाव डालता है।
प्रभावी ग्रह दषा
- 2025 में, शनि ग्रह 15 नवंबर को कुम्भ राशि में प्रवेश करेगा, जो कुछ राशियों के लिए शुभ होगा।
- वीनस ग्रह जनवरी 2025 में मीन राशि में प्रवेश करेगा, जो राजयोग का प्रभाव लाएगा और कुछ राशियों के लिए लाभकारी होगा।
- चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ और सुनामी पर प्रभाव पड़ने की संभावना है, लेकिन मानव क्षति कम होने की उम्मीद है।
- राजनीति में अस्थिरता, सीमा पर तनाव और विरोध प्रदर्शन में वृद्धि हो सकती है।
“मौसम और ग्रहों की स्थिति से क्या प्रभाव होगा, यह तो देखना होगा। लेकिन अपने कर्मों और सकारात्मक सोच से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।”
– ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
इस प्रकार, मिथिला पंचांग 2025 में ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण और उनके प्रभावों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। यह जानकारी हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
हिंदू धर्म में पञ्चांग से जुड़ी परंपराएँ
मिथिला क्षेत्र में पंचांग का उपयोग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। यह हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। प्राचीन समय में इसका उपयोग खेती, व्यापार और यात्रा के लिए किया जाता था। आज भी लोग मिथिला पंचांग की परंपरा को अपनाते हैं।
प्राचीन परंपराएँ
हिंदू धर्म में पंचांग का उपयोग प्राचीन काल से होता आया है। इसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का महत्व है। तिथि की अवधि 20 से 27 घंटे तक होती है।
हिंदू पंचांग में 27 नक्षत्र समूह हैं। योग में 27 प्रकार हैं जो सूर्य और चंद्रमा के संयोग पर आधारित हैं। प्रत्येक चंद्र माह में 60 करण होते हैं।
आधुनिक समय में पञ्चांग का उपयोग
आजकल मिथिला पंचांग का उपयोग शुभ मुहूर्त, त्योहार और व्रत की तिथियाँ जानने के लिए किया जाता है। इसमें ग्रहों और तारों की स्थिति को भी शामिल किया जाता है।
किसान भी खेती गतिविधियों जैसे बुवाई और कटाई का समय तय करने के लिए पंचांग का उपयोग करते हैं। शुभ कार्य या यात्रा शुरू करने से पहले राहु काल, गुलिक काल और दिशा शूल को भी ध्यान में रखा जाता है।
विषय | प्राचीन परंपरा | आधुनिक उपयोग |
---|---|---|
तिथि | 20-27 घंटे की अवधि | शुभ मुहूर्त निर्धारण |
नक्षत्र | 27 समूह | व्रत और त्योहार तिथियां |
योग | 27 प्रकार | ग्रहों की स्थिति का प्रभाव |
करण | प्रत्येक चंद्र माह में 60 | कृषि गतिविधियों का समय |
इस प्रकार मिथिला क्षेत्र का पंचांग हिंदू धर्म में प्राचीन से ही महत्वपूर्ण स्थान रखता आया है। और आज भी इसका व्यापक उपयोग होता है।
विशेष रूप से चर्चा की जाने वाली तिथियाँ
मिथिला पंचांग 2025 में कई विशेष तिथियों का उल्लेख है। इन तिथियों पर विशेष पूजा और समारोह होते हैं। मैथिली पंचांग के अनुसार, इन तिथियों का महत्व बहुत है।
अद्भुत तिथियाँ
मिथिला पंचांग 2025 में कुछ तिथियाँ विशेष हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- अमृत सिद्धि योग: 14 अप्रैल 2025 को होने वाला यह योग बहुत शुभ है। इस दिन किए गए काम में सफलता मिलती है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: 26 जून 2025 को होने वाला यह योग भी शुभ है। इस दिन किए गए काम सफल होते हैं।
महात्मा के जन्म तिथियाँ
मिथिला पंचांग 2025 में महान संतों के जन्म तिथियाँ भी दी गई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- महात्मा गांधी का जन्मदिन: 2 अक्टूबर 2025
- सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन: 5 सितंबर 2025
- स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन: 12 जनवरी 2025
इन महापुरुषों के जन्मदिन पर विशेष पूजा होती है। लोग उनके जीवन और विचारों पर ध्यान देते हैं।
“मिथिला पंचांग में उल्लिखित तिथियाँ हमारी संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न अंग हैं। इन तिथियों पर किए जाने वाले उपासना और समारोह हमारे आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध करते हैं।”
आचार्य और विद्वानों की सलाह
मिथिला के ज्योतिषाचार्य और पंडित मिथिला पंचांग 2025 के बारे में बात करते हैं। वे इसके सही उपयोग और महत्व पर जोर देते हैं। उन्हें लगता है कि पंचांग का उपयोग करते समय, पुराने ज्ञान और नए विज्ञान को मिलाना चाहिए।
मिथिला पंचांग 2025 में दिखाए गए शुभ मुहूर्तों और तिथियों का ध्यान से देखने की सलाह दी जाती है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ मिथिला पंचांग 2025 का उपयोग व्यक्तिगत जीवन में कैसे करना है, इसके बारे में सुझाव देते हैं। उन्होंने महत्वपूर्ण तिथियों और शुभ मुहूर्तों के बारे में विस्तार से बताया है।
उन्होंने बताया कि पंचांग की सांस्कृतिक और धार्मिक भूमिका क्या है।
पारंपरिक ज्ञान का उपयोग
मैथिल पंचांग के अर्थ और उपयोग को समझने के लिए पुराने ज्ञान का उपयोग करना जरूरी है। ज्योतिषीय गणनाओं और शास्त्रीय विधियों का पालन करके, हम पंचांग के गहरे अर्थों को समझ सकते हैं।
इस तरह, पंचांग का उपयोग व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में फायदेमंद होता है।
FAQ
मिथिला पंचांग 2025 में कितने दिन विवाह के शुभ मुहूर्त हैं?
मिथिला पंचांग 2025 में 52 दिन विवाह के लिए शुभ हैं। यह पंचांग नक्षत्र, योग और करण पर आधारित है।
मिथिला पंचांग क्या है और इसका क्या महत्व है?
पंचांग हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की जानकारी देता है। मिथिला पंचांग विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र के लिए तैयार किया जाता है।
मिथिला पंचांग 2025 में कौन-कौन से महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत हैं?
2025 में नवरात्रि, दीपावली, छठ पूजा और मकर संक्रांति जैसे त्योहार हैं। इन तिथियों के साथ शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम भी दिए गए हैं।
2025 में मिथिला पंचांग में विवाह के लिए कौन-कौन से शुभ मुहूर्त हैं?
2025 में विवाह के लिए 8 दिन शुभ हैं। नवंबर में 4, दिसंबर में 5, जनवरी में 7, फरवरी में 10, मार्च में 4, अप्रैल में 7, मई में 11, और जून में 4।
मिथिला पंचांग में चंद्रमा की गति और उसके विभिन्न चरणों का क्या महत्व है?
मिथिला पंचांग में चंद्रमा की गति बहुत महत्वपूर्ण है। शुक्ल और कृष्ण पक्ष के आधार पर तिथियाँ निर्धारित होती हैं। पूर्णिमा और अमावस्या विशेष महत्व रखती हैं।
मिथिला पंचांग 2025 में नवरात्रि की तिथियाँ और पूजा विधियाँ कैसी हैं?
2025 में नवरात्रि की तिथियाँ और पूजा विधियाँ विस्तार से दी गई हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है।
कुंडली निर्माण में मिथिला पंचांग का क्या महत्व है?
कुंडली निर्माण में पंचांग का बहुत बड़ा महत्व है। जन्म समय के अनुसार नक्षत्र, राशि और लग्न का निर्धारण होता है। मिथिला पंचांग का उपयोग करके सटीक कुंडली बनाई जा सकती है।
मिथिला पंचांग 2025 में विभिन्न ग्रहों की स्थिति और प्रभाव क्या है?
2025 में विभिन्न ग्रहों की स्थिति और प्रभाव का विस्तृत विवरण दिया गया है। सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि की गति और राशि परिवर्तन की तिथियाँ दी गई हैं।
मिथिला पंचांग में कौन-कौन सी विशेष तिथियाँ हैं?
2025 में अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग जैसी अद्भुत तिथियाँ हैं। मिथिला क्षेत्र के महान संतों के जन्म दिवस की तिथियाँ भी दी गई हैं।
मिथिला के विद्वानों और पंडितों का मिथिला पंचांग 2025 के बारे में क्या कहना है?
मिथिला के ज्योतिषाचार्य पंचांग के सही उपयोग पर जोर देते हैं। वे पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय की सलाह देते हैं। विशेषज्ञ व्यक्तिगत जीवन में पंचांग का उपयोग कैसे किया जाए, यह भी बताते हैं।
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