
भगवान राम (Shree Ram), जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, हिंदू धर्म में सबसे प्रिय और पूजनीय देवताओं में से हैं। वे श्री हरि विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं। उनका जन्म त्रेता शताब्दी में अयोध्या में चैत्र मास की नवमी तिथि को हुआ था, जो आज भी रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। राम कोशल राज्य के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र थे।
राजा दशरथ की तीन रानियां थीं: कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। इन तीनों रानियों से उन्हें चार पुत्र हुए। कौशल्या ने राम को जन्म दिया, कैकेयी ने भरत को जन्म दिया, और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। भगवान राम का जीवन धर्म और आदर्शों का पालन करने का एक उदाहरण है। उनके जीवन में कई मुश्किलों और चुनौतियों का सामना हुआ, लेकिन वे धर्म और सत्य से कभी नहीं चले गए।
उन्हें अपने पिता के वचन का पालन करते हुए चौबीस वर्षों के लिए वनवास जाना पड़ा, जो उनके जीवन में सबसे बड़ी परीक्षा बन गई। इस दौरान रावण ने उनकी पत्नी सीता को अपहरण कर लिया था. राम ने रावण को मारकर धर्म की स्थापना की। उन्हें अपने कार्य से न्याय और धर्म का प्रतीक बनाया गया।
भगवान राम (Shree Ram) के जीवन और चरित्र का वर्णन बहुत से ग्रंथों में मिलता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं वाल्मीकि की रामायण और गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस। इन ग्रंथों में उनके जीवन का सुंदर और व्यापक वर्णन है।
भगवान राम (Shree Ram) का जीवन आज भी लोगों के लिए प्रेरणादायक है। आज भी उनकी गाथाएं करुणा, त्याग, समर्पण, विनम्रता, मर्यादा, धैर्य और पराक्रम की प्रेरणा देती हैं। उनके जीवन की शिक्षाएं और उनके दिखाए गए रास्ता हमें एक अच्छे और धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।
भगवान राम (Shree Ram) का जीवन और उनके आदर्श हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना सिखाते हैं। उनका जीवन भी हमें बताता है कि सत्य और धर्म ही अंततः विजेता होते हैं। भगवान राम के जीवन से मिलने वाली शिक्षा आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी उस समय थी।
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