
हिंदू धर्म का महान ग्रंथ रामायण में भगवान राम (Shri Ram) के वनवास की कहानी एक महत्वपूर्ण भाग है। राजा दशरथ, राम के पिता, ने अपनी तीसरी पत्नी कैकेयी को दो वरदान देने का वादा किया था, इसलिए राम को वनवास जाना पड़ा। जब राम राज्याभिषेक करने वाला था, कैकेयी ने अपने वरदानों का उपयोग करते हुए अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या की गद्दी और राम के लिए चौबीस वर्ष का वनवास मांगा।
कैकेयी ने इस मांग को कई कारणों से समझाया है। उसकी एक वजह थी कि त्रेतायुग में प्रचलित एक प्रशासनिक नियम के अनुसार, चौबीस वर्ष से अधिक समय तक राजगद्दी से दूर रहने पर राजा को फिर से राजा बनने का अधिकार नहीं मिलता था। ताकि भरत अयोध्या का राजा बन सके, कैकेयी ने राम से चौबीस वर्ष का वनवास मांगा।
इसके अलावा, एक दूसरी कहानी कहती है कि ऋषि दुर्वासा ने कैकेयी को वरदान दिया था, इसलिए उन्होंने राम को वनवास के लिए भेजा था। यह भी कहा जाता है कि कैकेयी ने राम से चौबीस वर्ष का वनवास मांगा क्योंकि रावण की आयु केवल चौबीस वर्ष बची थी, और कैकेयी चाहती थी कि राम रावण को मार डाले।
राम (Shri Ram) के वनवास की कथा न केवल उनके चरित्र की दृढ़ता और आज्ञाकारिता को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि उनके वनवास के दौरान कई घटनाएँ हुईं, जो धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई को उजागर करती हैं। राम का वनवास उनके जीवन का एक हिस्सा था, जहां उन्होंने धर्म का पालन किया और अधर्म पर विजय प्राप्त की।
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