मिथिला लगन 2025 के शुभ मुहूर्त कौन से हैं? | Mithila lagan 2025 ke subh muharat kon se hai

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मिथिला लगन 2025 के शुभ मुहूर्त कौन से हैं
मिथिला लगन 2025 के शुभ मुहूर्त कौन से हैं

भारत में 2025 में शादी के लिए शुभ समय केवल 24% है। लगन, नक्षत्र, योग और करण के आधार पर मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं। मिथिला लगन 2025 के शुभ मुहूर्त कौन से हैं?

हमारी परंपरा और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शुक्र और गुरु अस्त के समय विवाह नहीं करना चाहिए।

मिथिला क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के अनुसार मुहूर्त गणना की गई है। 5 मिनट से कम के मुहूर्तों को सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

मुख्य अंशः

  • मिथिला पंचांग के अनुसार, 2025 में केवल 24% शादी की तारीखें शुभ संरेखण में हैं।
  • नक्षत्र, योग और करण जैसे पंचांग शुद्धि कारक शादी के मुहूर्त निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • शुक्र अस्त और गुरु अस्त के दौरान विवाह समारोह की सलाह नहीं दी गई है।
  • मिथिला क्षेत्र की स्थानीय भौगोलिक स्थिति के अनुसार मुहूर्तों की गणना की गई है।
  • 5 मिनट से कम के मुहूर्तों को सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

मिथिला शादी के महत्व और परंपराएं

मिथिला क्षेत्र में हिंदू शादी की अपनी विशेषता है। यहां की जलवायु और संस्कृति ने शादी समारोहों को विशेष बनाया है। यहां के विवाह अनुष्ठानों में धार्मिक और पारंपरिक प्रथाएं महत्वपूर्ण हैं।

मिथिला की जलवायु और संस्कृती

मिथिला का प्राकृतिक सौंदर्य और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत विवाह समारोहों में अनोखी अभिव्यक्ति पाती है। यहां के रंगीन पशु-पक्षी, कोलाहल से भरी नदियां और हरी-भरी खेत विवाह प्रथा पर प्रभाव डालते हैं।

विवाह के अवसर पर खास अनुष्ठान

हिंदू धर्म में विवाह एक पवित्र बंधन है। यह दो व्यक्तियों और परिवारों को एक साथ जोड़ता है। सात वचनों (सप्तपदी) का विशेष महत्व है।

हिंदू विवाह संस्कार में शुभ मुहूर्त और कुंडली मिलान का बहुत महत्व है। हिंदू शादी मुहूर्त चयन से जोड़े हुए लोग सुखी और सफल जीवन जीते हैं।

माहशुभ मुहूर्त
जनवरी 2025कोई शुभ मुहूर्त नहीं
फरवरी 20256, 7, 8, 14, 15, 17
मार्च 20251, 5, 6, 14, 15
अप्रैल 202530
मई 20251, 7, 8, 9, 10, 14, 17, 22, 23, 28
जून 20254, 6
जुलाई – सितंबर 2025कोई शुभ मुहूर्त नहीं
अक्टूबर 202523, 24, 29

इस प्रकार, मिथिला प्रदेश की धर्मीय और सांस्कृतिक विरासत विवाह समारोहों में अनोखी अभिव्यक्ति पाती है। यहां के मिथिला विवाह रीति-रिवाज और पारंपरिक अनुष्ठान अन्य क्षेत्रों से भिन्न हैं।

2025 के लिए विशेष शुभ मुहूर्त (मिथिला लगन 2025 के शुभ मुहूर्त कौन से हैं)

2025 के लिए, मिथिला पंचांग का नया संस्करण शुभ विवाह मुहूर्तों को अद्यतन करता है। यह पंचांग शुद्धि और लग्न शुद्धि के आधार पर मुहूर्त निर्धारित करता है। जनवरी से दिसंबर 2025 तक, विविध शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं।

जनवरी से मार्च के लगन मुहूर्त

जनवरी 2025 में 10 शुभ मुहूर्त हैं। ये 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 26 और 27 तारीखों के लिए हैं। फरवरी में भी कई मौके हैं, जैसे 2 फरवरी को प्रात: 09:14 बजे से 07:08 बजे तक।

मार्च में 5 शुभ मुहूर्त हैं। ये 1, 2, 6, 7 और 12 तारीखों के लिए हैं।

अप्रैल से जून के लगन मुहूर्त

अप्रैल 2025 में 9 शुभ मुहूर्त हैं। ये 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29 और 30 तारीखों के लिए हैं।

मई में भी कई मौके हैं। जैसे 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27 और 28 तारीखों को।

जून में 2, 4, 5, 7 और 8 तारीखों पर शुभ मुहूर्त हैं।

जुलाई से सितंबर के लगन मुहूर्त

जुलाई, अगस्त और सितंबर में कोई विशेष मौका नहीं है। पूरे वर्ष 2025 में शुभ मुहूर्तों का केवल 24% ही मिथिला पंचांग के अनुसार है।

अक्टूबर से दिसंबर के लगन मुहूर्त

नवंबर 2025 में 14 शुभ विवाह तिथियां हैं। ये 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 तारीखों के लिए हैं।

दिसंबर में 4, 5 और 6 तारीख पर शुभ मुहूर्त हैं।

मिथिला पंचांग में शुभ विवाह मुहूर्त नक्षत्र, योग और करण के आधार पर निर्धारित होते हैं। 5 मिनट से कम समय की शादियों को शुभ नहीं माना जाता।

हिंदू धर्म में विवाह एक पवित्र बंधन है। यह दो व्यक्तियों और परिवारों को एक साथ जोड़ता है। शुभ मुहूर्त और कुंडली मिलान शादी की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

“मिथिला पंचांग में शुभ विवाह मुहूर्तों का ज्ञान हिंदू धर्म और संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह एक प्राचीन और आध्यात्मिक प्रणाली है जो तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण जैसे तत्वों पर आधारित है।”

महिलाएं और विवाह के तैयारी

मिथिला क्षेत्र में विवाह की तैयारियों में महिलाएं बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। शादी के अवसर पर, विशेष रूप से रिंग सेरेमनी और मंडप सजावट पर ध्यान दिया जाता है। यहां, बारात का स्वागत और मंडप की सजावट बहुत महत्वपूर्ण है।

विवाह की रिंग सेरेमनी

रिंग सेरेमनी विवाह का एक महत्वपूर्ण चरण है। इसमें, जोड़े अपनी प्रतिबद्धता को परिवार और समुदाय के सामने दिखाते हैं। महिलाएं इस समारोह की सजावट और आयोजन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

बारात और मंडप सजावट

विवाह समारोह में बारात का स्वागत और मंडप की सजावट बहुत महत्वपूर्ण है। महिलाएं इन तैयारियों में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं। मंडप सजावट में रंगीन फूल, रंगोली और अन्य शृंगार का उपयोग किया जाता है।

इन तैयारियों में महिलाएं बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। परिवार और समुदाय का सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह मिथिला क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है।

तैयारीप्रमुख गतिविधियांमहिलाओं की भूमिका
रिंग सेरेमनीजोड़े का परिवार और समुदाय के सामने प्रतिबद्धता प्रदर्शनसजावट और आयोजन में महत्वपूर्ण
बारात और मंडप सजावटबारात का स्वागत, मंडप में रंगीन फूलों, रंगोली और अन्य शृंगार का उपयोगसक्रिय भूमिका, परिवार और समुदाय के साथ मिलकर काम करती हैं

मिथिलाकला और विवाह (मिथिला लगन 2025 के शुभ मुहूर्त कौन से हैं)

मिथिला क्षेत्र की संस्कृति बहुत समृद्ध है। विवाह समारोह में, पारंपरिक पेंटिंग्स और चित्रकला बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। ये सजावट और दुल्हन के श्रृंगार में मदद करते हैं।

मधुबनी पेंटिंग्स के लिए मिथिला प्रसिद्ध है। यह 1934 में शुरू हुआ और अब इसे पहचाना जाता है।

पेंटिंग्स और चित्रकला

मिथिला चित्रकला में दो शैलियाँ हैं – भित्ति चित्र और अरिपन (अल्पना)। भित्ति चित्रों में प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है। अरिपन में ज्यामितीय आकार और पारंपरिक प्रतीकों का उपयोग होता है।

इन चित्रकलाओं ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।

मिथिला साड़ी का महत्व

मिथिला साड़ी विवाह समारोह में बहुत महत्वपूर्ण है। इन साड़ियों पर मिथिला चित्रकला के प्रतीकों का उपयोग होता है।

यह दुल्हन के श्रृंगार को पारंपरिक और प्रभावशाली बनाता है। साड़ी का उपयोग ने मिथिला को विश्व पटल पर प्रमुख बनाया है।

“मिथिला चित्रकला और साड़ी विवाह समारोह के अभिन्न अंग हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध परंपरा और संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं।”

मधुबनी पेंटिंग्स का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है। कई संगठन और विदेशी गैलरियां मिथिला कलाकारों का समर्थन कर रहे हैं।

उनका उद्देश्य है कि मिथिला की कला और परंपराओं को दुनिया भर में प्रदर्शित किया जाए।

नामकरण और मुहूर्त का विज्ञान

मिथिला विवाह परंपरा में नामकरण और मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण हैं। ज्योतिष शास्त्र विवाह मुहूर्त का निर्धारण करता है। गहनों का चयन और उनका महत्व भी इस परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इन सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यह विज्ञान पारंपरिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संगम है।

ज्योतिष शास्त्र की भूमिका

हिंदू शादी मुहूर्त और शुभ दिन निर्धारण में ज्योतिष शास्त्र का बड़ा योगदान है। इस शास्त्र के अनुसार, विवाह के लिए शुभ मुहूर्त चुना जाता है।

ये मुहूर्त मिथिला विवाह रीति-रिवाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

गहनों का चयन और महत्व

विवाह के अवसर पर पहने जाने वाले गहने भी महत्वपूर्ण हैं। इनका चयन और धार्मिक सांस्कृतिक महत्व विशेष रूप से ध्यान में रखा जाता है।

इन गहनों में गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक अर्थ होते हैं। ये न केवल दिखावे के लिए होते हैं।

मुहूर्ततारीखदिननक्षत्र
वर्ण वरण15 अप्रैल – 12 दिसंबर 2024सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवारहस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, उत्तरफाल्गुनी, उत्तरषाढ़ा, उत्तरभाद्रपद, रोहिणी, स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, मूल, मृगशीर्ष, रेवती, चित्रा, अनुराधा
द्विरागमन (गौना)19 फरवरी – 6 मार्च 2025सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवारवृश्चिक, कुंभ, मेष राशि में सूर्य होते हुए और गुरु शुद्ध होते हुए

नामकरण और मुहूर्त का विज्ञान मिथिला विवाह रीति-रिवाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई है।

इस प्रकार, शुभ मुहूर्त और पारंपरिक गहनों का सही ढंग से चयन किया जा सकता है।

समारोहों की योजना

मिथिला में विवाह की योजना बहुत सावधानी से की जाती है। यह उनकी प्राचीन परंपरा और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विवाह के समारोह पूरे परिवार और समुदाय को एकजुट करते हैं।

मेहंदी और हल्दी समारोह

मेहंदी और हल्दी समारोह विवाह से पहले के महत्वपूर्ण अनुष्ठान हैं। इन समारोहों में पारिवारिक सदस्य और मित्र भाग लेते हैं। ये समारोह गीत, नृत्य और विशेष व्यंजनों के साथ मनाए जाते हैं।

रिसेप्शन की तैयारियाँ

रिसेप्शन समारोह में मिथिला की परंपराओं और आधुनिक प्रथाओं का सुंदर समन्वय दिखता है। इस समारोह में परिवार और मित्रों की सक्रिय भागीदारी होती है। विवाह के बाद, नवदंपति का स्वागत किया जाता है और उनके नए जीवन की शुरुआत होती है।

विवाह महीनाशुभ मुहूर्तनक्षत्र
जनवरी 202510 मुहूर्तरोहिणी, पुष्य, उत्तराफल्गुनी
फरवरी 202513 मुहूर्तपुष्य, आश्लेषा, मघा
मार्च 20255 मुहूर्तचित्रा, स्वाती, विशाखा
अप्रैल 20259 मुहूर्तस्वाती, विशाखा, अनुराधा

मिथिला पंचांग के अनुसार, इन मुहूर्तों में विवाह संस्कार किए जाने की सिफारिश की जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि विवाह का शुभारंभ सही समय पर और शुभ नक्षत्रों में होता है।

मिथिला क्षेत्र में विवाह समारोहों की योजना बनाने में मिथिला पंचांग का महत्वपूर्ण योगदान है। यह प्राचीन ज्योतिष शास्त्र उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान करता है और सफल विवाह के लिए शुभ मुहूर्तों की पहचान करने में मदद करता है।

धार्मिक अनुष्ठान और रीतियॉं

मिथिला में हिंदू शादी मुहूर्त और विवाह संस्कार बहुत पवित्र होता है। पंडित जी का चयन सोच-समझकर किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि मिथिला विवाह रीति-रिवाज और परंपरा की पवित्रता बनी रहे।

ये अनुष्ठान मिथिला की संस्कृति का प्रतिबिंब हैं। ये नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक हैं।

पंडित जी का चयन

मिथिला में विवाह के लिए पंडित जी का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। यह चयन सावधानी से किया जाता है। ताकि धार्मिक आचरण और ज्ञान में निपुण पंडित जी द्वारा सही मार्गदर्शन मिल सके।

पंडित जी की पहचान और योग्यता को सुनिश्चित करना जरूरी है।

विवाह संस्कार की प्रक्रिया

मिथिला के परंपरागत मिथिला विवाह में विवाह संस्कार बहुत विस्तृत होता है। इसमें कई धार्मिक अनुष्ठान और रीतियां शामिल हैं।

इन अनुष्ठानों का निर्वहन पंडित जी के मार्गदर्शन में होता है। ये वर और वधू के जीवन में नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक हैं।

“मिथिला के विवाह संस्कार में धार्मिक रीतियों का गहरा महत्व है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है और वर-वधू के जीवन में नई दिशा प्रदान करती है।”

मिथिला के खास भोजन और पकवान

मिथिला क्षेत्र की खाद्य संस्कृति बहुत समृद्ध है। विवाह के अवसर पर यहां विशेष भोजन और मिठाइयां महत्वपूर्ण हैं। बिहार की संस्कृति में मिथिला क्षेत्र की परंपरागत मिथिला विवाह समारोहों में यह भोजन एक अभिन्न अंग है।

इन पकवानों और स्वादिष्ट मिठाइयों का आनंद लेना मिथिला की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पारंपरिक मिठाइयों की सूची

  • ठेकुआ: एक मिठाई जो मिथिला क्षेत्र में विवाह समारोहों में प्रसिद्ध है।
  • खाजा: एक परंपरागत मिठाई जिसे मिथिला में बड़े आदर और श्रद्धा से बनाया जाता है।
  • लड्डू: मिथिला का प्रसिद्ध मिठाई है जो अनेक प्रकारों में बनाया जाता है।

खाने में विशेष पकवान

मिथिला की संस्कृति में विवाह के अवसर पर विशेष पकवानों को महत्व दिया जाता है। इनमें मछली, मटन और विभिन्न प्रकार की दाल शामिल हैं।

ये प्रभावशाली व्यंजन मिथिला की समृद्ध खाद्य परंपराओं को दर्शाते हैं।

पकवानविशेषताएं
मछलीमिथिला क्षेत्र में मछली एक प्रमुख भोजन है, विशेषकर कार्प मछली।
मटनमिथिला में मटन को अनेक स्वादिष्ट तरीकों से पकाया जाता है।
दालमिथिला क्षेत्र में दाल के विभिन्न प्रकार जैसे मसूर दाल और अरहर दाल प्रचलित हैं।

“मिथिला की खाद्य संस्कृति में विवाहों के दौरान परोसे जाने वाले पकवान और मिठाइयों का अहम योगदान है। ये व्यंजन न केवल स्वाद में लुभावने होते हैं, बल्कि इनमें मिथिला की सांस्कृतिक विरासत भी समाहित होती है।”

विवाह के बाद के संस्कार

मिथिला में, विवाह के बाद कई महत्वपूर्ण संस्कार होते हैं। ये संस्कार नवदंपति के जीवन में नए सफर का प्रतीक हैं। इनमें से सबसे प्रमुख हैं सप्तपदी और पाणिग्रहण।

सप्तपदी और पाणिग्रहण

सप्तपदी में नवदुल्हन सात कदम उठाती हैं। यह उनके साथ-साथ चलने के लिए दुल्हे का वचन है। पाणिग्रहण में दुल्हे दुल्हन का हाथ पकड़ता है। यह दोनों के जीवन में एक साथ चलने की प्रतिज्ञा है।

ये संस्कार नवदंपति को जीवन के नए सफर के लिए तैयार करते हैं।

जीवन का नया सफर: अनुभव और सलाह

शादी के बाद, नवविवाहित जोड़े अनुभवी लोगों से सलाह प्राप्त करते हैं। ये सलाह मिथिला की परंपराओं को आगे बढ़ाती हैं।

नवदंपति को एक सफल और सुखी वैवाहिक जीवन की ओर मार्गदर्शन करती हैं। मिथिला के विवाह रीति-रिवाज, शादी के अवसर, और परंपरागत मिथिला विवाह इस प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा हैं।

FAQ: मिथिला लगन 2025 के शुभ मुहूर्त कौन से हैं

2025 में मिथिला में शादी के लिए कौन से दिन शुभ माने जाते हैं?

2025 में मिथिला में शादी के लिए केवल 24% दिन शुभ हैं। नक्षत्र, योग और करण के आधार पर मुहूर्त निर्धारित किए जाते हैं। स्थानीय भौगोलिक स्थिति के अनुसार मुहूर्त गणना की जाती है।

हिंदू धर्म में विवाह का क्या महत्व है?

हिंदू धर्म में विवाह एक पवित्र बंधन है। यह दो व्यक्तियों और परिवारों को एक साथ जोड़ता है। सात वचनों (सप्तपदी) का विशेष महत्व है।

शुभ मुहूर्त और कुंडली मिलान का बहुत महत्व है। शुभ मुहूर्त चयन से जोड़े हुए लोग सुखी और सफल जीवन जीते हैं।

2025 में मिथिला में विवाह के लिए कौन से खास मुहूर्त उपलब्ध हैं?

2025 के लिए मिथिला पंचांग में विवाह मुहूर्त अद्यतन किए गए हैं। पंचांग शुद्धि और लग्न शुद्धि के आधार पर मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं।

जनवरी से दिसंबर 2025 तक शुभ विवाह मुहूर्त उपलब्ध हैं। सर्दियों में शादी के लिए जनवरी सबसे अच्छा महीना है।

मिथिला में विवाह की तैयारियों में महिलाओं की क्या भूमिका है?

मिथिला में विवाह की तैयारियों में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। रिंग सेरेमनी और मंडप सजावट पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

बारात का स्वागत और मंडप की सजावट मिथिला संस्कृति का प्रतीक है। इन तैयारियों में परिवार और समुदाय का सहयोग महत्वपूर्ण होता है।

मिथिलाकला विवाह समारोह का कैसे एक अभिन्न अंग है?

मिथिलाकला विवाह समारोह का अभिन्न अंग है। पेंटिंग्स और चित्रकला विवाह स्थल को सजाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मिथिला साड़ी दुल्हन के श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये कलाकृतियाँ मिथिला की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करती हैं।

मिथिला में विवाह मुहूर्त निर्धारण में ज्योतिष शास्त्र की क्या भूमिका है?

ज्योतिष शास्त्र विवाह मुहूर्त निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गहनों का चयन और उनका महत्व मिथिला विवाह परंपरा का एक अहम हिस्सा है।

नामकरण और मुहूर्त का विज्ञान पारंपरिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संगम है। इन सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

मिथिला में विवाह समारोहों की योजना कैसे की जाती है?

मिथिला में विवाह समारोह की योजना बहुत सावधानी से की जाती है। मेहंदी और हल्दी समारोह विवाह के पूर्व के महत्वपूर्ण अनुष्ठान हैं।

रिसेप्शन की तैयारियाँ मिथिला की परंपराओं और आधुनिक प्रथाओं का मिश्रण होती हैं। इन समारोहों में परिवार और मित्रों की सक्रिय भागीदारी होती है।

मिथिला में विवाह संस्कार की प्रक्रिया कैसी होती है?

मिथिला में विवाह संस्कार की प्रक्रिया बहुत पवित्र और विस्तृत होती है। पंडित जी का चयन बहुत सोच-समझकर किया जाता है।

धार्मिक अनुष्ठान और रीतियाँ मिथिला की संस्कृति का प्रतिबिंब होती हैं। ये अनुष्ठान वर और वधू के जीवन में नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक हैं।

मिथिला के विवाह समारोह में भोजन का क्या महत्व है?

मिथिला के विवाह समारोह में भोजन का विशेष महत्व होता है। पारंपरिक मिठाइयाँ जैसे ठेकुआ, खाजा, और लड्डू प्रमुख हैं।

विशेष पकवानों में मछली, मटन, और विभिन्न प्रकार के दाल शामिल हैं। ये व्यंजन मिथिला की समृद्ध खाद्य संस्कृति को दर्शाते हैं।

मिथिला में विवाह के बाद के संस्कार क्या हैं?

विवाह के बाद के संस्कारों में सप्तपदी और पाणिग्रहण प्रमुख हैं। ये संस्कार नवदंपति के जीवन में नए सफर की शुरुआत का प्रतीक हैं।

अनुभवी लोगों द्वारा नवविवाहित जोड़ों को जीवन के नए चरण के लिए मूल्यवान सलाह दी जाती है। ये संस्कार मिथिला की परंपराओं और मूल्यों को आगे बढ़ाते हैं।

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