
मेरी शादी देर से हुई थी। इसकी वजह कुंडली में दोष थे। ज्योतिषी ने बताया कि कई ग्रह दोष थे। कौन सा दोष विवाह में देरी करता है
ये दोष शादी को रोकते हैं या देर से होती है। मैंने सीखा कि कुंडली के भाव ग्रहों से प्रभावित होते हैं।
ये हैं मुख्य विषय जिन पर हम चर्चा करेंगे:
- विवाह में देरी का महत्व
- कुंडली में विवाह को प्रभावित करने वाले दोष
- अनुकूल कुंडली के माध्यम से विवाह में तेजी लाना
- विवाह समस्याओं का समाधान
- वास्तविक जीवन के उदाहरण
विवाह में देरी का महत्व
विवाह में देरी सामाजिक और पारिवारिक दबाव का कारण बन सकती है। यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुछ ग्रहों की स्थिति विवाह में देरी का कारण बनती है। विवाह प्रलंबन के पीछे के ज्योतिषीय कारणों को समझना महत्वपूर्ण है, ताकि उचित समाधान खोजा जा सके।
सामाजिक और पारिवारिक दबाव
समाज में रिश्तों की परंपरा और परिवार के दबाव के कारण कई लोगों को शादी की देरी के कारण झेलना पड़ता है। समय से विवाह न करने पर व्यक्ति को पारिवारिक और सामाजिक रूप से परेशान किया जाता है। इससे व्यक्ति पर तनाव और दबाव बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
विवाह में देरी होने से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बेवक्त विवाह के कारण तनाव, चिंता और निराशा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इससे व्यक्ति का जीवन प्रभावित होता है और उसके आत्मविश्वास पर भी असर पड़ता है।
“सही समय और सही व्यक्ति के साथ विवाह करना एक सौभाग्य की बात मानी जाती है।”
कुंडली और विवाह (कौन सा दोष विवाह में देरी करता है)
विवाह की संभावनाएं कुंडली पर निर्भर करती हैं। जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति विवाह को प्रभावित करती है। सप्तम भाव, लग्न भाव, द्वितीय, पंचम, नवम, अष्टम और एकादश भाव विवाह योग पर असर डालते हैं।
कुंडली का विश्लेषण विवाह में आने वाली बाधाओं को समझने में मदद करता है।
कुंडली का आधार
एक व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति विवाह के लिए शुभ या अशुभ संकेत देती है। यह कुंडली में विलंब का एक मुख्य कारण है।
शुभ ग्रहों की स्थिति से विवाह समय पर हो सकता है। लेकिन अशुभ ग्रहों की स्थिति से शादी टालने के कारण बन सकते हैं।
जन्म कुंडली के महत्व
जन्म कुंडली का विश्लेषण यह बताता है कि व्यक्ति किस उम्र में विवाह कर सकता है। उदाहरण के लिए, शुक्र या बृहस्पति का सप्तम भाव में होने से विवाह 24-25 साल की उम्र में हो सकता है।
लेकिन शनि या मंगल का इन ग्रहों पर प्रभाव आनुवंशिक कारण से विवाह में देरी कर सकता है।
कुंडली का विश्लेषण विवाह के समय और सफलता के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। जन्म कुंडली का अध्ययन विवाह में देरी को समझने और उपाय खोजने में महत्वपूर्ण है।
दोषों की पहचान
विवाह में देरी कई कारणों से हो सकती है, लेकिन एक प्रमुख कारण है दोष कुंडली में। ग्रहों की स्थिति और उनका संयोजन दोषों को जन्म दे सकता है। इनमें से कुछ प्रमुख दोष हैं मांगलिक, काल सर्प, और शुक्र दोष।
प्रमुख दोष क्या होते हैं?
मांगलिक दोष तब होता है जब मंगल ग्रह कुंडली के निश्चित भावों में होता है। यह व्यक्ति के मन और व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इससे विवाह में देरी हो सकती है।
काल सर्प दोष तब होता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच होते हैं। यह कई समस्याएं पैदा कर सकता है, जिनमें विवाह में देरी भी शामिल है।
कुंडली में अनुकूलता की भूमिका
ग्रहों की अनुकूलता विवाह की संभावनाओं को बढ़ाती है। जब ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं, तो जीवन में समृद्धि आती है। इसलिए, ग्रहों की संतुलित स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है।
“मंगल दोष के कारण व्यक्ति में अधिक गुस्सा और आक्रामकता पैदा हो सकती है, जो उसके वैवाहिक जीवन को प्रभावित कर सकती है।”
सबसे सामान्य दोष
शादी में देरी कई कारणों से हो सकती है। दो प्रमुख कारण हैं – केतु दोष और चंद्र दोष। ये दोष विवाह में देरी और वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
केतु दोष
केतु दोष तब होता है जब केतु ग्रह सप्तम भाव में होता है। यह विवाह में देरी और समस्याएं ला सकता है।
इस दोष के कारण व्यक्ति असुरक्षा और भय की भावना महसूस कर सकता है। यह शादी के लिए सही साथी ढूंढने में मुश्किलें पैदा कर सकता है।
चंद्र दोष
चंद्र दोष तब होता है जब चंद्रमा सप्तम भाव में होता है। इसके कारण व्यक्ति को भावनात्मक अस्थिरता और मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं।
इन दोषों के कारण शादी में देरी हो सकती है या वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ सकती हैं। इन्हें पहचानना और समाधान करना जरूरी है। ताकि व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुखमय और सफल हो।
ग्रहों का प्रभाव
जीवन में सुख और संतुष्टि चाहिए, लेकिन शादी की देरी के कारण लोग परेशान हो जाते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि आनुवंशिक या बेवक्त विवाह। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों का प्रभाव भी विवाह में देरी का कारण हो सकता है।
शुक्र का महत्व
शुक्र प्रेम और विवाह का ग्रह है। यदि शुक्र कमजोर या दूषित है, तो विवाह में देरी हो सकती है। शुक्र का शक्तिशाली होना व्यक्ति को समृद्धि और सुख देता है।
मंगल और विवाह
मंगल का प्रभाव भी महत्वपूर्ण है। मांगलिक दोष विवाह में बाधा उत्पन्न कर सकता है। बृहस्पति का सप्तम भाव में होना भी विवाह में विलंब का कारण बन सकता है। इन कारकों को ध्यान में रखकर ज्योतिषी से परामर्श लेना बहुत महत्वपूर्ण है।
ग्रहों का प्रभाव विवाह में देरी का एक महत्वपूर्ण कारक है। शुक्र और मंगल जैसे ग्रहों की स्थिति और स्वास्थ्य को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। ज्योतिष आधारित उपाय करके इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
नकारात्मक ग्रह योग
कुछ नकारात्मक ग्रह योग विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं। अशुभ ग्रहों का सप्तम भाव पर प्रभाव विवाह में रुकावट ला सकता है। राहु, केतु और शनि जैसे ग्रह विवाह में बाधा डाल सकते हैं।
छठा और दसवां भाव भी विवाह में रुकावटें उत्पन्न कर सकते हैं।
ग्रहों के योग का विश्लेषण
कालसर्प दोष जीवन में संघर्ष और प्रयासों में व्यवधान पैदा कर सकता है। यह व्यक्ति के वित्त, करियर, रिश्ते, स्वास्थ्य, सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकता है।
मंगल दोष विवाह के लिए हानिकारक माना जाता है। यह तब होता है जब मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में होता है।
केन्द्राधिपति दोष व्यक्ति को करियर से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह नौकरी की अस्थिरता, व्यापार की बाधाएं, शैक्षिक रुकावटें और वित्तीय नुकसान का कारण बनता है।
पितृ दोष पूर्वजों के प्रति उदासीनता और अपमान के कारण होता है। यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालता है, जिसमें करियर प्रगति में रुकावट और वित्तीय नुकसान शामिल हैं।
गुरु चांडाल दोष में जूपिटर और राहु का संयोग होता है। यह व्यक्ति के चारित्रिक दुर्बलताएं और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। व्यक्ति अतिव्यय करता है और भविष्य की योजना बनाने में लापरवाह होता है।
विवाह में विलंब के अन्य कारक
शुक्र दोष व्यक्ति के जीवन में विवाह को लेकर अड़चनें पैदा कर सकता है। व्यक्ति के जीवनसाथी के साथ तालमेल नहीं बैठ पाता और हमेशा लड़ाई की स्थिति देखने मिलती है।
शनि दोष के प्रभाव से विवाह में बहुत विलम्ब होता है। शनि दोष के प्रभाव से व्यक्ति का वैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं रहता।
राहु के प्रभाव से जीवन में प्यार टिक नहीं पाता और पारिवारिक जीवन में कलह होता रहता है।
मंगल दोष के प्रभाव से आपके पारिवारिक रिश्ते बिगड़ने लग जाते हैं। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लग जाता है।
नाड़ी दोष और विवाह
विवाह में देरी का एक बड़ा कारण नाड़ी दोष है। यह दोष वर और वधू की कुंडलियों में पाया जाता है। यह दोष वैवाहिक जीवन में कई समस्याएं पैदा कर सकता है।
इस दोष को दूर करना जरूरी है। ताकि दांपत्य जीवन सुखी और संतोषजनक हो।
नाड़ी दोष का अर्थ
नाड़ी दोष एक दोष है जो वर और वधू की कुंडलियों में होता है। इस दोष के कारण वर और वधू के बीच ऊर्जा संबंध नहीं बन पाता।
इससे उनके जीवन में कई समस्याएं हो सकती हैं।
इसके प्रभाव
- नाड़ी दोष के कारण वर और वधू की प्रजनन क्षमता कम हो सकती है।
- इसका स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यह दोष आयु पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- कुछ मामलों में यह दोष स्वतः ही दूर हो जाता है।
नाड़ी दोष विवाह में देरी और दांपत्य जीवन में समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए, इसे समय पर दूर करना बहुत महत्वपूर्ण है।
विवाह के लिए सही समय
विवाह के लिए शुभ मुहूर्त चुनना बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिषी से सलाह लेकर सबसे अच्छा समय चुना जा सकता है। इस समय विवाह करने से जीवन सुखमय होता है।
ग्रहों की सही स्थिति विवाह के लिए जरूरी है।
शुभ मुहूर्त का चयन
विवाह के लिए शुभ समय चुनना जरूरी है। यह विवाह को सुखमय और समृद्ध बनाता है। ज्योतिषी से सलाह लेकर सही समय चुना जा सकता है।
ज्योतिषी से परामर्श
विवाह की तारीख और समय चुनते समय ज्योतिषी की सलाह लेनी चाहिए। ज्योतिषी कुंडली का विश्लेषण करके सही मुहूर्त बता सकते हैं।
इस तरह का विवाह व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। शुभ मुहूर्त में किया गया विवाह व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।
विवाह स्थगित करने वाले कारण, विवाह प्रलंबन, शादी की देरी के कारण के बारे में भी ज्योतिषी की सलाह लेनी चाहिए।
दोष हटाने के उपाय
बेवक्त विवाह, आनुवंशिक कारण या अन्य कारणों से शादी टालने वाले लोगों के लिए कई उपाय हैं। इन उपायों को अपनाकर व्यक्ति शीघ्र विवाह के लिए तैयार हो सकता है।
सरल उपाय
मंगल दोष के लिए उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में ‘शांति भात पूजा’ करवाई जा सकती है। इसके अलावा, हनुमान जी की पूजा और सुंदरकांड का पाठ भी लाभदायक होता है। शुक्र के प्रभाव के लिए शुक्रवार को व्रत रखना और सफेद वस्तुओं का दान करना फायदेमंद हो सकता है।
पूजा व अनुष्ठान
- मंगल दोष को दूर करने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करना (पीपल विवाह)
- कुंभ विवाह या शालिग्राम विवाह जैसे रीति-रिवाज अपनाने से लाभ मिल सकता है
- मंगल ग्रह प्रार्थना मंत्र, मंगल गायत्री मंत्र और मंगल नाम मंत्र का जाप करना
इन उपायों को लगातार 11 मंगलवार तक करने से वांछित परिणाम मिल सकते हैं। बेवक्त विवाह, आनुवंशिक कारण या शादी टालने के कारण वाले लोगों के लिए यह प्रभावी साबित हो सकता है।
“मंगल दोष को दूर करने के लिए मंगलवार को नियमित रूप से पूजा-अर्चना करने से लाभ मिलता है।”
वैवाहिक समस्याएं और समाधान
कुंडली में विलंब या विवाह में देरी का कारण जानना जरूरी है। कई जोड़े अपने वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं। लेकिन, इन समस्याओं का समाधान खोजना संभव है।
घरेलू विवादों का समाधान
कुंडली में दोषों के कारण घरेलू विवाद हो सकते हैं। इन विवादों को दूर करने के लिए, भावनाओं का सम्मान करना और सकारात्मक संवाद करना महत्वपूर्ण है। धैर्य और समझदारी भी आवश्यक है।
सामंजस्य बनाए रखने के तरीके
वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाए रखने के लिए, नियमित रूप से मंदिर जाना लाभदायक हो सकता है। यह मानसिक शांति और ग्रहों के दोषों को दूर करने में मदद करता है। साथ ही, आपसी सम्मान और विश्वास बढ़ाया जा सकता है।
भारत में 10-20 साल की शादियां आसानी से टूट जाती हैं। रिश्तों में अलगाव की समस्या आम हो गई है। ग्रहों के दोष वैवाहिक जीवन पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
जन्म तिथि के अनुसार विवाह भविष्यफल बनाने में ग्रहों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। पुरुष और स्त्री कुंडली में शुक्र और मंगल के दोष समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।
वैवाहिक जीवन में समस्याओं का समाधान करने के लिए, ज्योतिषीय उपाय और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करना प्रभावी हो सकता है। एक-दूसरे के प्रति सम्मान और समझ रखना भी महत्वपूर्ण है।
वास्तविक जीवन के उदाहरण
कई लोगों ने कुंडली में दोष होने के बावजूद सफल विवाह किया है। उन्होंने ज्योतिषीय उपायों का पालन किया और अपने व्यवहार में बदलाव लाए। लगन विलंब कारक, शादी में देरी, और विवाह स्थगित करने वाले कारण के बावजूद, वे खुशहाल वैवाहिक जीवन जीते हैं।
सफल विवाह के किस्से
रामेश और श्रुति की कुंडली में केतु दोष था। लेकिन, उन्होंने ज्योतिषी से सलाह ली और धार्मिक उपाय किए। उनका विवाह सफल और मधुर हुआ।
दीपक और नीतू की कुंडली में चंद्र दोष था। लेकिन, उन्होंने ज्योतिषीय उपचार और परिवार के दबाव से बचकर खुशहाल वैवाहिक जीवन जिया।
दोष रहित कुंडली के फायदे
दोष रहित कुंडली वाले जोड़ों का वैवाहिक जीवन कम समस्याओं से भरा होता है। उनका दांपत्य जीवन अधिक सुखमय होता है।
उनके परिवार में अधिक सुख और समृद्धि होती है। वे आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं और अपने वैवाहिक जीवन का आनंद लेते हैं।
निष्कर्ष
विवाह में देरी कई कारणों से हो सकती है। इसमें कुंडली में ग्रह दोष, सामाजिक और आर्थिक कारण शामिल हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए, ज्योतिषीय उपाय, व्यक्तिगत विकास और सकारात्मक दृष्टिकोण महत्वपूर्ण हैं।
भविष्य की योजनाओं में कुंडली का नियमित विश्लेषण करना जरूरी है। आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेना और व्यक्तिगत विकास पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है।
विवाह में देरी के प्रमुख कारण
विवाह में देरी कई कारणों से हो सकती है। इसमें विवाह प्रलंबन, शादी की देरी के कारण और बेवक्त विवाह जैसे कारक शामिल हैं।
कुंडली में ग्रह योग, सामाजिक और आर्थिक स्थिति, और व्यक्तिगत तैयारी जैसे कारक भी महत्वपूर्ण हैं।
समाधान और भविष्य की योजनाएं
इन समस्याओं का समाधान ज्योतिषीय उपाय, व्यक्तिगत विकास और सकारात्मक दृष्टिकोण से हो सकता है। भविष्य की योजनाओं में कुंडली का नियमित विश्लेषण करना जरूरी है।
आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेना और कौशल विकास पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है। इन प्रयासों से विवाह की समस्याएं हल हो सकती हैं और जीवन में समृद्धि मिल सकती है।
FAQ: कौन सा दोष विवाह में देरी करता है
कुंडली में कौन से ग्रह दोष विवाह में देरी का कारण बनते हैं?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सातवां भाव, बृहस्पति, शुक्र और मंगल ग्रह विवाह के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन ग्रहों का प्रभाव विवाह की समय-सीमा और गुणवत्ता पर निर्भर करता है। मांगलिक दोष, काल सर्प दोष और शुक्र दोष विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं।
विवाह में देरी के क्या सामाजिक और पारिवारिक प्रभाव हो सकते हैं?
विवाह में देरी सामाजिक और पारिवारिक दबाव का कारण बन सकती है। यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल सकता है। सही समय और सही व्यक्ति के साथ विवाह करना एक सौभाग्य की बात मानी जाती है। विवाह में देरी के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि उचित समाधान खोजा जा सके।
कुंडली का विवाह में क्या महत्व है?
कुंडली विवाह की संभावनाओं का मुख्य आधार होती है। जन्म कुंडली में विभिन्न भाव और ग्रह विवाह के समय और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। सप्तम भाव, लग्न भाव, द्वितीय, पंचम, नवम, अष्टम और एकादश भाव विवाह योग पर असर डालते हैं। कुंडली का विश्लेषण विवाह में आने वाली बाधाओं को समझने में मदद करता है।
कुंडली में कौन से प्रमुख दोष होते हैं?
प्रमुख दोषों में मांगलिक दोष, काल सर्प दोष, और शुक्र दोष शामिल हैं। मांगलिक दोष तब बनता है जब मंगल ग्रह कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें, या बारहवें भाव में स्थित होता है। काल सर्प दोष तब बनता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। कुंडली में ग्रहों की अनुकूलता विवाह की संभावनाओं को बढ़ाती है।
केतु दोष और चंद्र दोष क्या हैं और ये कैसे विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं?
केतु दोष तब होता है जब केतु सप्तम भाव में स्थित होता है। चंद्र दोष तब बनता है जब चंद्रमा सप्तम भाव में स्थित होता है। ये दोष न केवल विवाह में देरी करते हैं बल्कि वैवाहिक जीवन में भी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
ग्रहों का विवाह पर कैसा प्रभाव पड़ता है?
शुक्र प्रेम और विवाह का कारक ग्रह है। यदि शुक्र कमजोर या दूषित है, तो विवाह में देरी हो सकती है। मंगल का प्रभाव भी महत्वपूर्ण है। मांगलिक दोष विवाह में बाधा उत्पन्न कर सकता है। बृहस्पति का सप्तम भाव में होना भी विवाह में विलंब का कारण बन सकता है।
नकारात्मक ग्रह योग विवाह में देरी का कारण कैसे बन सकते हैं?
जब एक से अधिक अशुभ ग्रह सप्तम भाव को प्रभावित करते हैं, तो नकारात्मक ग्रह योग विवाह में देरी का कारण बन सकते हैं। राहु, केतु और शनि जैसे क्रूर ग्रहों की दृष्टि या युति भी विवाह में बाधा डाल सकती है। छठा तथा दसवां भाव भी विवाह में रुकावटें उत्पन्न कर सकते हैं।
नाड़ी दोष क्या है और यह विवाह में कैसे प्रभाव डाल सकता है?
नाड़ी दोष वर और वधू की कुंडलियों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दोष है। यह दोष वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकता है और कभी-कभी विवाह में देरी का कारण भी बन सकता है। नाड़ी दोष का निवारण आवश्यक होता है ताकि दांपत्य जीवन सुखमय हो सके।
विवाह के लिए सही समय का चयन कैसे किया जा सकता है?
विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का चयन महत्वपूर्ण है। ज्योतिषी से परामर्श लेकर कुंडली के अनुसार सबसे उपयुक्त समय का चयन किया जा सकता है। शुभ मुहूर्त में किया गया विवाह दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने में सहायक होता है। ग्रहों की अनुकूल स्थिति विवाह के लिए आवश्यक है।
विवाह में देरी के दोषों को हटाने के क्या उपाय हैं?
मंगल दोष के लिए उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में ‘शांति भात पूजा’ करवाई जा सकती है। हनुमान जी की पूजा और सुंदरकांड का पाठ भी लाभदायक होता है। शुक्र के प्रभाव के लिए शुक्रवार को व्रत रखना और सफेद वस्तुओं का दान करना फायदेमंद हो सकता है।
वैवाहिक समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है?
वैवाहिक समस्याओं के समाधान के लिए संवाद और समझदारी महत्वपूर्ण है। कुंडली में दोषों के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं के लिए ज्योतिषीय उपाय अपनाए जा सकते हैं। सामंजस्य बनाए रखने के लिए एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना और धैर्य रखना आवश्यक है। नियमित रूप से मंदिर जाना और साथ में पूजा-पाठ करना भी लाभदायक हो सकता है।
कुंडली में दोष होने के बावजूद भी लोगों ने कैसे सफल विवाह किए हैं?
कई लोगों ने कुंडली में दोष होने के बावजूद सफल विवाह किए हैं। इसके लिए उन्होंने ज्योतिषीय उपायों का पालन किया और अपने व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाए। दोष रहित कुंडली वाले जोड़ों के वैवाहिक जीवन में आमतौर पर कम समस्याएं आती हैं और उनका दांपत्य जीवन अधिक सुखमय होता है।