ज्योतिष शास्त्र से शादी की तारीख तय करना – सर्वश्रेष्ठ समय

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ज्योतिष शास्त्र से शादी की तारीख तय करना
ज्योतिष शास्त्र से शादी की तारीख तय करना

हिंदू धर्म में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण है। साल 2025 में कई शुभ तिथियां हैं। ये तिथियां ग्रह-नक्षत्रों और पंचांग के अनुसार तय की गई हैं।

जनवरी 2025 में मकर संक्रांति के बाद विवाह मुहूर्त शुरू होंगे। 16, 17, 18, 19, 21, 22 और 24 जनवरी को विशेष रूप से शादी के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र से शादी की तारीख तय करना

प्रमुख बिंदु

  • हिंदू धर्म में शादी के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व है।
  • साल 2025 में कई शुभ शादी तारीखें हैं, जो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निर्धारित की गई हैं।
  • जनवरी 2025 में 16, 17, 18, 19, 21, 22 और 24 तारीखें शुभ हैं।
  • फरवरी में बसंत पंचमी पर बिना मुहूर्त के भी शादी करना शुभ माना जाता है।
  • ग्रह-नक्षत्रों और पंचांग का अध्ययन कर शादी की तारीख का चयन किया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र की परिभाषा और महत्व

ज्योतिष शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है। यह ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का अध्ययन करता है। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उनके प्रभाव का विश्लेषण करता है।

यह शास्त्र व्यक्ति के जीवन में शुभ या अशुभ घटनाओं का पूर्वानुमान करता है। विवाह संबंधी निर्णयों में भी इसका उपयोग किया जाता है। यह दांपत्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।

ज्योतिष शास्त्र का परिचय

ज्योतिष शास्त्र की ईतिहासिक पारंपरा बहुत पुरानी है। यह भारत, मेसोपोटामिया, और ग्रीक सभ्यताओं से जुड़ी है।

इस शास्त्र का उपयोग व्यक्तिगत और समाजिक संबंधों को समझने में किया जाता है। व्यावसायिक और निवेश संबंधित निर्णयों में भी इसका उपयोग होता है। शुभ मुहूर्त का चयन भी इसी शास्त्र के आधार पर किया जाता है।

हालांकि, पिछले कुछ समय में ज्योतिष को छद्मविज्ञान (Pseudoscience) के रूप में वर्गीकृत किया जा रहा है। लेकिन इसके पारंपरिक और धार्मिक महत्व को अभी भी सराहा जाता है।

शादी के लिए ज्योतिष का महत्व

ज्योतिष शास्त्र विवाह में बहुत महत्वपूर्ण है। जन्म कुंडली (Birth chart) के आधार पर वर-वधू की संगतता का पता लगाया जा सकता है।

कुछ विशेष योग वर या वधू की जीवनसाथी के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। कुंडली में ग्रहों की अनुकूल स्थिति शुभ विवाह के संकेत देती है।

अनुकूल नहीं होने पर विवाह में देरी या बाधाएं आ सकती हैं।

ज्योतिष के महत्वविवाह में उपयोग
व्यक्तिगत और समाजिक संबंधों को समझने में मददजन्म कुंडली का मिलान और सही विवाह तारीख चयन
व्यावसायिक और निवेश संबंधित निर्णयों में सहायताशुभ योगों का पता लगाकर वर-वधू की संगतता का आकलन
शुभ मुहूर्त का चयनग्रहों की स्थिति से विवाह एवं दांपत्य जीवन की सफलता का पूर्वानुमान

“ज्योतिष शास्त्र का उपयोग व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों को समझने, व्यावसायिक और निवेश संबंधित निर्णयों में सहायता प्राप्त करने, और शुभ मुहूर्त का चयन करने में किया जाता है।”

शादी की तारीख चुनने में ग्रहों का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में, विवाह की शुभ तारीख निर्धारित करने में ग्रहों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। ग्रह दशा, लग्न संयोग और शुभ मुहूर्त का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना जरूरी है। इससे वर-वधू के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ग्रहों की स्थिति का अध्ययन

विवाह के लिए शुक्र ग्रह का उदित अवस्था में होना बहुत जरूरी है। बृहस्पति, शुक्र और बुध जैसे शुभ ग्रह विवाह के लिए शुभ समय निर्धारित करते हैं। वहीं, मंगल, शनि और राहु जैसे अशुभ ग्रह अशुभ समय बताते हैं।

शुभ और अशुभ ग्रह

  • शुभ ग्रह: बृहस्पति, शुक्र, बुध
  • अशुभ ग्रह: मंगल, शनि, राहु

इन ग्रहों की अनुकूल स्थिति विवाह के लिए शुभ तारीख और समय चुनने में मदद करती है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का गहरा अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है।

“विवाह के लिए शुक्र ग्रह का उदित अवस्था में होना आवश्यक माना जाता है।”

विवाह के लिए मुहूर्त कैसे निर्धारित करें

मुहूर्त निर्धारण में तिथि, वार, नक्षत्र और समय का विशेष ध्यान रखा जाता है। वर-वधू की जन्म राशि और नक्षत्र के आधार पर शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। 2025 में कई अशुभ दिनों के बीच कुछ शुभ मुहूर्त भी पाए जाते हैं, जिनका विस्तृत विवरण नीचे दिया गया है।

मुहूर्त निर्धारण की प्रक्रिया

शुद्ध मुहूर्त वह होता है जिसमें सभी ग्रह अनुकूल स्थिति में हों, जबकि विकृत मुहूर्त में कुछ ग्रह प्रतिकूल हो सकते हैं। मुहूर्त निर्धारण के लिए जन्म कुंडली, पंचांग और नक्षत्रों का गहन अध्ययन किया जाता है। इससे वर-वधू के लिए सर्वोत्तम समय का चयन किया जा सके।

शुद्ध मुहूर्त और विकृत मुहूर्त

पांच सिद्ध मुहूर्त – फुलेरा दूज, देवउठनी एकादशी, बसंत पंचमी, विजयादशमी और अक्षय तृतीया पर बिना मुहूर्त के भी विवाह किया जा सकता है। इन दिनों के अलावा, जनवरी से दिसंबर 2025 तक के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं।

जनवरी 2025 में शुभ मुहूर्त 16, 17, 18, 19, 21, 22 और 24 तारीख हैं। फरवरी में 7, 13, 14, 15, 18, 19, 20, 21 और 25 तारीख अच्छी हैं। मार्च में 1, 2, 6, 7 और 12 तारीख शुभ हैं।

अप्रैल में 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29 और 30 तारीख शुभ हैं। मई में 1, 5, 6, 8, 15, 17 और 18 तारीख शुभ हैं। जून में 1, 2, 4 और 7 तारीख शुभ हैं।

इसी प्रकार जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर के शुभ मुहूर्त भी उल्लेखनीय हैं।

“शुद्ध मुहूर्त निर्धारण से वर-वधू की जीवन में खुशहाली और सामंजस्य बना रहता है।”

जन्म कुंडली के आधार पर शादी की तारीख

जन्म कुंडली वर-वधू के व्यक्तित्व और भविष्य का प्रतिबिंब होती है। कुंडली मिलान में दोनों पक्षों के गुणों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। इसमें 36 गुणों का मिलान किया जाता है।

इन गुणों में गण, योनि, तारा, वश्य, नाड़ी आदि शामिल हैं। कुंडली मिलान के बाद शादी की उपयुक्त तारीख चुनी जाती है। यह तारीख दोनों पक्षों के लिए शुभ होती है।

जन्म कुंडली का महत्व

जन्म नक्षत्र और व्यक्तित्व विशेषताओं का अध्ययन कर शादी की तारीख चुनी जाती है। इससे पता चलता है कि कब और कैसे समय दोनों पक्षों के लिए अनुकूल है।

कुंडली मिलान और सही तारीख का चयन

कुंडली मिलान से पता चलता है कि कौन सी विवाह योग्यता है। 18 से 25 गुण मिलने पर औसत, 25 से 32 गुण मिलने पर अच्छा और 32 से 36 गुण मिलने पर उत्कृष्ट माना जाता है।

उच्च गुण मिलान से शादी के लिए सबसे अच्छी तारीख चुनी जाती है।

गणविवाह संयोग
12, 4, 6
21, 3, 6
32, 6, 9
41, 2, 7, 8
55, 8
62, 6, 9
72
81, 2, 7, 8
91

कुंडली मिलान के अलावा, शादी की तारीख चुनते समय ग्रहों की स्थिति का भी ध्यान रखा जाता है। सूर्य और बृहस्पति का प्रभाव और लग्न (आरंभिक) का भी विश्लेषण किया जाता है।

“शादी के लिए सही कुंडली मिलान और समय का चयन बेहद महत्वपूर्ण है।”

पंचांग का अध्ययन

पंचांग हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण शामिल हैं। विवाह के लिए शुभ समय निर्धारित करने में यह बहुत महत्वपूर्ण है। 2024 में विवाह के लिए 58 शुभ मुहूर्त हैं।

पंचांग के प्रमुख अंग

  1. तिथि: पक्ष (शुक्ल या कृष्ण), तिथि एवं तिथि का नाम
  2. वार: सप्ताह के सातों वार
  3. नक्षत्र: 27 नक्षत्र में से कौन सा नक्षत्र है
  4. योग: 27 योगों में से कौन सा योग है
  5. करण: एक दिन में दो करण होते हैं

पंचांग से शादी का शुभ समय जानें

इन 58 शुभ मुहूर्तों में से कुछ प्रमुख तिथियाँ हैं। जैसे 16-17 जनवरी, 20-22 जनवरी, 27-28 जनवरी, 30-31 जनवरी, 4-8 फरवरी, 12-13 फरवरी, 17 फरवरी, 24-26 फरवरी।

“पंचांग विवाह के लिए शुभ समय निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”

पंचांग का गहन अध्ययन कर आप अपने विवाह के लिए सर्वश्रेष्ठ समय चुन सकते हैं। इससे आपका विवाह योग्यता और सौभाग्य सुनिश्चित होगा।

नक्षत्रों का प्रभाव

विवाह मुहूर्त निर्धारण में नक्षत्रों का बड़ा योगदान होता है। हिंदू धर्म में 27 नक्षत्र हैं, लेकिन कुछ विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इन नक्षत्रों का चयन वधू-वर के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

नक्षत्रों की भूमिका

नक्षत्र तारामंडल के विशिष्ट तारा समूह हैं। ज्योतिष शास्त्र में वे बहुत महत्वपूर्ण हैं। जन्म नक्षत्र और विवाह के लिए चुने गए नक्षत्र का जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।

विवाह के लिए शुभ नक्षत्र

  • रोहिणी
  • मृगशिरा
  • मघा
  • उत्तरा फाल्गुनी
  • हस्त
  • स्वाति
  • अनुराधा
  • मूल
  • उत्तराषाढ़ा
  • श्रवण
  • उत्तरा भाद्रपद
  • रेवती

इन नक्षत्रों में विवाह करने से जोड़े को समृद्धि और खुशहाली मिलती है। यह उनके जीवन को लंबा और सुखी बनाता है।

नक्षत्र चुनते समय ज्योतिषी की सलाह लेना बहुत जरूरी है। नक्षत्रों के संयोग से वधू-वर की सौभाग्य और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।

भगवान का आशीर्वाद

हिंदू विवाह संस्कार में धार्मिक रस्में बहुत महत्वपूर्ण हैं। विवाह संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है। विवाह के दौरान, विभिन्न धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है।

इन रीति-रिवाजों का उद्देश्य वर-वधू को भगवान का आशीर्वाद दिलाना है। यह उनके दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने में मदद करता है।

धार्मिक रस्में और अनुष्ठान

विवाह के दौरान की जाने वाली धार्मिक रस्में में गणेश पूजा, कन्यादान, और सप्तपदी शामिल हैं। ये रस्में विवाह को पवित्र और आध्यात्मिक बनाती हैं।

  • गणेश पूजा: विवाह की शुरुआत में गणेश पूजा किया जाता है। यह मंगलकारी मानी जाती है।
  • कन्यादान: यह रस्म वर-वधू के पवित्र संबंध को मजबूत करती है।
  • सप्तपदी: सात फेरे लेने से वर-वधू एक-दूसरे के साथी बन जाते हैं।

मंत्र और पूजा का महत्व

विवाह के दौरान मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना का बहुत महत्व होता है। ये रस्में वर-वधू के दांपत्य जीवन को पवित्र और आशीर्वादित बनाती हैं।

  1. मंत्रोच्चार: विवाह के विभिन्न चरणों में मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यह शुभता और सफलता प्रदान करता है।
  2. पूजा-अर्चना: देवताओं को समर्पित की जाने वाली पूजा वर-वधू को आशीर्वाद देती है।

इन धार्मिक रस्मों और अनुष्ठानों का उद्देश्य वर-वधू को भगवान का आशीर्वाद दिलाना है। यह उनके दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने में मदद करता है।

विवाह में ज्योतिषीय सलाह

शादी की तारीख चुनने में ज्योतिष शास्त्र का बहुत बड़ा योगदान है। ज्योतिषाचार्य जैसे रितु तिवारी आपको कुंडली मिलान, शुभ मुहूर्त और ग्रहों की स्थिति के बारे में बताते हैं। वे घरेलू उपाय और टोटके भी देते हैं जो आपके वैवाहिक जीवन को सुखमय बना सकते हैं।

ज्योतिषी से परामर्श

विवाह से पहले ज्योतिषी से बात करना बहुत जरूरी है। ज्योतिषाचार्य आपको कुंडली मिलान, शुभ मुहूर्त और ग्रहों की स्थिति के बारे में बताते हैं। उनके सुझाव आपके वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने में मदद कर सकते हैं।

घरेलू उपाय और टोटके

ज्योतिषी आपको घरेलू उपाय और टोटके भी बता सकते हैं। ये उपाय ज्योतिषीय सलाह के अनुसार होते हैं। इसमें विशेष पूजा, दान, व्रत या मंत्र जप शामिल हो सकते हैं।

“अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए ज्योतिष की सलाह का पालन करना महत्वपूर्ण है।”

कुल मिलाकर, ज्योतिषीय सलाह आपके वैवाहिक जीवन को सुखमय और सफल बनाने में मदद करती है। ज्योतिषी से परामर्श लेकर और उनके द्वारा सुझाए गए घरेलू उपाय और टोटके का पालन करके, आप अपने विवाह को सुंदर और सामंजस्यपूर्ण बना सकते हैं।

ज्योतिष के माध्यम से सफल विवाह की कुंजी

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सफल विवाह के लिए सही समय और साथी का चयन काफी महत्वपूर्ण है। शुभ मुहूर्त में विवाह करने से दांपत्य जीवन में सुख और शांति आती है। लेकिन, ज्योतिष के अलावा भी प्रेम, सम्मान और सामंजस्य की भी जरूरत है।

सही समय और सही साथी

सफल विवाह के लिए, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। वैवाहिक जीवन में सही साथी का चयन भी क्रांतिकारी है। व्यक्तिगत पसंद और गुणों पर भी ध्यान देना चाहिए।

सामंजस्य और ताजगी बनाए रखना

ज्योतिष शास्त्र के साथ, वैवाहिक जीवन में पारस्परिक समझ, प्रेम और सम्मान भी महत्वपूर्ण हैं। ये गुण एक मजबूत और सुखी विवाह के लिए आवश्यक हैं। धैर्य और क्षमा भी महत्वपूर्ण हैं।

FAQ: ज्योतिष शास्त्र से शादी की तारीख तय करना

हिंदू धर्म में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का क्या महत्व है?

हिंदू धर्म में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण है। 2025 में कई शुभ तिथियां हैं। इनमें जनवरी के 16, 17, 18, 19, 21, 22 और 24 तारीख और फरवरी की बसंत पंचमी शामिल हैं।

ज्योतिष शास्त्र में विवाह के महत्व का क्या कारण है?

ज्योतिष शास्त्र ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर मानव जीवन का अध्ययन करता है। यह विवाह के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शुभ मुहूर्त में विवाह दांपत्य जीवन को सुखी बनाता है।

विवाह मुहूर्त निर्धारण में ग्रहों की क्या भूमिका है?

विवाह के लिए शुक्र ग्रह का उदित अवस्था में होना जरूरी है। ग्रहों की सही स्थिति से शुभ समय निर्धारित किया जाता है। शुभ ग्रहों में बृहस्पति, शुक्र और बुध शामिल हैं।

विवाह मुहूर्त निर्धारण में किन कारकों का ध्यान रखा जाता है?

मुहूर्त निर्धारण में तिथि, वार, नक्षत्र और समय का विशेष ध्यान दिया जाता है। जन्म राशि और नक्षत्र के आधार पर शुभ मुहूर्त निकाला जाता है।

शुद्ध मुहूर्त में सभी ग्रह अनुकूल होते हैं। विकृत मुहूर्त में कुछ ग्रह प्रतिकूल हो सकते हैं।

फुलेरा दूज, देवउठनी एकादशी, बसंत पंचमी, विजयादशमी और अक्षय तृतीया पर भी विवाह किया जा सकता है।

जन्म कुंडली का विवाह के लिए क्या महत्व है?

जन्म कुंडली वर-वधू के व्यक्तित्व और भविष्य का प्रतिबिंब है। कुंडली मिलान में दोनों पक्षों के गुणों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।

गण, योनि, तारा, वश्य, नाड़ी आदि 36 गुणों का मिलान किया जाता है। कुंडली मिलान के बाद शादी की उपयुक्त तारीख का चयन किया जाता है।

पंचांग का विवाह के लिए क्या महत्व है?

पंचांग हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण शामिल हैं।

2024 में विवाह के लिए 58 शुभ मुहूर्त हैं। इनमें से कुछ प्रमुख तिथियां हैं: 16-17 जनवरी, 20-22 जनवरी, 27-28 जनवरी, 30-31 जनवरी, 4-8 फरवरी, 12-13 फरवरी, 17 फरवरी, 24-26 फरवरी।

विवाह के लिए नक्षत्रों का क्या प्रभाव है?

नक्षत्र विवाह मुहूर्त निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 27 नक्षत्रों में से कुछ विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।

रोहिणी, मृगशिरा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, उत्तरा भाद्रपद और रेवती जैसे नक्षत्र विवाह के लिए शुभ माने जाते हैं।

हिंदू विवाह में धार्मिक रस्मों और अनुष्ठानों का क्या महत्व है?

हिंदू विवाह में धार्मिक रस्मों और अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है। गणेश पूजा, कन्यादान, सप्तपदी जैसी रस्में की जाती हैं।

मंत्रोच्चार और पूजा विवाह को पवित्र और आध्यात्मिक बनाते हैं। इन रस्मों का उद्देश्य भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करना है।

विवाह में ज्योतिषी से परामर्श लेना क्यों महत्वपूर्ण है?

विवाह से पहले ज्योतिषी से परामर्श लेना बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिषाचार्य कुंडली मिलान, शुभ मुहूर्त और ग्रहों की स्थिति के बारे में मार्गदर्शन देते हैं।

वे घरेलू उपाय और टोटके भी सुझाते हैं जो वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने में मदद कर सकते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से सफल विवाह की कुंजी क्या है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सही समय और सही साथी का चयन विवाह के लिए महत्वपूर्ण है। शुभ मुहूर्त में विवाह दांपत्य जीवन में सुख लाता है।

लेकिन, ज्योतिषीय पहलुओं पर ही निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। पारस्परिक समझ, प्रेम और सम्मान भी आवश्यक हैं।

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