महाशिवरात्रि 2025 में कब है – पूरी जानकारी | Mahashivratri 2025 mein kab hai

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mahashivratri 2025 mein kab hai
mahashivratri 2025 mein kab hai

महाशिवरात्रि 2025 भारत भर में 26 फरवरी को मनाई जाएगी। यह पावन पर्व लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस बार निशिता काल का समय केवल 49 मिनट होगा। (mahashivratri 2025 mein kab hai)

महत्वपूर्ण विवरण:

  • महाशिवरात्रि 2025 में निशिता काल पूजा का समय रात 12:15 बजे से 1:04 बजे तक रहेगा।
  • पूजा अवधि महज 49 मिनट की होगी।
  • चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को 11:08 AM से शुरू होकर 27 फरवरी को 08:54 AM तक रहेगी।

इस वर्ष महाशिवरात्रि की तिथि और पूजा का समय बहुत महत्वपूर्ण है। श्रद्धालुओं को इस पूर्ण पूजा अवधि का लाभ उठाना चाहिए। भगवान शिव की विशेष आराधना करनी चाहिए।

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन लोग भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का जश्न मनाते हैं। शिव जी की पूजा करने से लोग अपने सपनों को पूरा करने की आशा करते हैं।

महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा का महत्व चंद्रमा की स्थिति से जुड़ा है।

महादेव की आराधना

भक्त महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। मंदिरों में शिव जी की पूजा के साथ-साथ भक्ति गीतों के माध्यम से उनका गुणगान किया जाता है। लोग इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।

शुभ दिन के अवसर पर पूजा विधि

महाशिवरात्रि पर पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जो कि निशिताकाल (मध्यरात्रि) में होती है। पूजा के लिए शुभ समय 12:15 से 1:04 मिनट तक है।

पूजा के साथ-साथ भक्तों द्वारा गरुड़ पुराण में वर्णित कथाओं का श्रवण भी किया जाता है।

महाशिवरात्रि के पीछे की कथा

महाशिवरात्रि के पीछे एक कहानी है। एक निषादराज ने शिवलिंग की पूजा की थी। भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था।

इस प्रकार महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इस दिन की पूजा से लोगों को शांति और समृद्धि मिलती है।

महाशिवरात्रि 2025 की तारीख (mahashivratri 2025 mein kab hai)

महाशिवरात्रि 2025 का पर्व मंगलवार, 25 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का महूर्त रात्रि प्रथम प्रहर में रहेगा। यह समय 12:38 AM से 12:48 AM तक होगा।

महाशिवरात्रि 2025 का पारण समय 26वाँ फरवरी को होगा। यह समय सुबह 6:46 AM से दोपहर 3:11 PM तक रहेगा।

गणना के आधार पर तिथि

भगवान शिव की इस महत्वपूर्ण रात्रि में चंद्रमा कमजोर होता है। यह दो पाप ग्रहों के बीच होता है। इसलिए महाशिवरात्रि 2025 (मौनी अमावस्या शिवरात्रि 2025) का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा।

अन्य धार्मिक महत्व की तिथियाँ

  • महाशिवरात्रि 2025 के दिन भगवान शिव की पूजा करने से आपका चंद्रमा मजबूत हो सकता है।
  • भगवान शिव के 12 चंद्र राशियों के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंग बताए गए हैं।
  • शिव भक्तों को इस शिवरात्रि 2025 शुभ मुहूर्त में मंदिर जाकर शिवलिंग पर दूध, धतूरा, बेलपत्र, गंगाजल, फूल-फल आदि अर्पित करना चाहिए।

महाशिवरात्रि 2025 का पर्व 26 फरवरी से शुरू होकर 27 फरवरी को समाप्त होगा। इस दौरान विशेष रूप से निशीथ काल में पूजा का महूर्त रहेगा। यह समय रात 12:08 बजकर 50 सेकंड से 12:58 बजकर 51 सेकंड तक होगा।

इसके बाद पारण मुहूर्त सुबह 6:49 बजकर 56 सेकंड से 8:57 बजकर 27 सेकंड तक रहेगा।

महाशिवरात्रि का पर्व भारत में

भारत में महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण है। विभिन्न राज्यों में इसे विशेष तरीके से मनाया जाता है। शिव भक्त इस दिन पूरी रात जागरण करते हैं और भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं।

इस दिन देश भर में बड़े उत्सव होते हैं।

विभिन्न राज्यों में उत्सव

महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में महाशिवरात्रि का उत्सव बहुत बड़ा होता है। मध्य प्रदेश के मंदी शहर में एक प्रसिद्ध मेला होता है।

इन राज्यों में शिव मंदिरों में विशेष पूजा होती है। भक्त पूरी रात जागरण करते हैं।

पारंपरिक रीति-रिवाज

  • शिव भक्त शिव मंदिरों में पूजा करते हैं और अभिषेक करते हैं।
  • वे शुद्ध शिव भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं और पूरी रात जागरण करते हैं।
  • वे विशेष प्रकार के भोग और प्रसाद का अर्पण करते हैं।
  • घर की सजावट और पूजा स्थल को सुंदर बनाते हैं।
  • महाशिवरात्रि पर उपवास रखकर भगवान शिव की आराधना करते हैं।

महाशिवरात्रि एक ऐसा पर्व है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अनूठी पहचान रखता है। यह लोगों को एक साथ जोड़ता है।

राज्यप्रमुख महाशिवरात्रि उत्सव
महाराष्ट्रत्र्यंबकेश्वर मंदिर, नासिक
कर्नाटकशिवमोग्गा मंदिर, शिवमोग्गा
आंध्र प्रदेश और तेलंगानाभक्तिमार्ग यात्रा, तिरुपति
मध्य प्रदेशमंदी मेला, मंदी

इस दौरान, भारत के विभिन्न कोनों में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यह अपनी मूल रूप-रेखा और संस्कृति को संजोए हुए है।

महाशिवरात्रि पर उपवास का महत्व

शिवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस दिन, लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं। कुछ लोग फलाहार करते हैं।

उपवास से शरीर और मन शुद्ध होता है। यह भगवान शिव की पूजा में मदद करता है।

उपवास के प्रकार

  • निर्जला उपवास: इस उपवास में पूरे दिन केवल काले पानी पिया जाता है।
  • फलाहार: इस उपवास में फल, सब्जियां, दूध और इसी प्रकार के पदार्थ खाए जाते हैं।

उपवास के दौरान क्या खाएँ

महाशिवरात्रि के दिन, भक्त साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, फल और दूध खा सकते हैं।

ये आहार शरीर को पोषण देते हैं। वे उपवास को भी आसान बनाते हैं।

उपवास के दौरान सेवन योग्य पदार्थलाभ
साबूदानापाचन तंत्र को सुगम बनाता है और ऊर्जा प्रदान करता है।
कुट्टू का आटापोषक तत्वों से भरपूर है और शरीर को शक्ति देता है।
सिंघाड़े का आटाविटामिन और मिनरल्स से भरपूर है और आवश्यक नमी प्रदान करता है।
फलनैसर्गिक मीठापन और रस प्रदान करते हैं।
दूधकैल्शियम और अन्य पोषक तत्व देता है और शरीर को तृप्त करता है।

इन आहारों का सेवन करके, भक्त शिवरात्रि 2025 का व्रत आराम से कर सकते हैं। वे भगवान शिव की भक्ति में अधिक समय बिता सकते हैं।

महाशिवरात्रि के दौरान मंदिरों का विशेष महत्व

महाशिवरात्रि के दिन देश भर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, और महाकालेश्वर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में विशेष पूजा होती है। भक्त रात भर जागरण करते हुए भोलेनाथ की आराधना करते हैं।

मंदिरों को दीपों और फूलों से सजाया जाता है।

प्रमुख शिव मंदिर

देश में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं। महाशिवरात्रि पर इन मंदिरों में विशेष पूजा होती है। यहाँ कुछ प्रमुख मंदिर हैं:

  • सोमनाथ मंदिर (गुजरात)
  • काशी विश्वनाथ मंदिर (उत्तर प्रदेश)
  • महाकालेश्वर मंदिर (मध्य प्रदेश)
  • कैलाश मानसरोवर (तिब्बत)
  • केदारनाथ मंदिर (उत्तराखंड)
  • अम्बिकाश्वर मंदिर (महाराष्ट्र)

भक्तों की भीड़

महाशिवरात्रि के दिन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ होती है। वे रात भर जागरण करके भगवान शिव की पूजा करते हैं।

महाशिवरात्रि पर भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है। वे पूरी रात जागरण करके शिव जी की आराधना करते हैं।

महाशिवरात्रि पर आयोजन

भारत भर में महाशिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। इन समारोहों में हर कोई भगवान शिव की भक्ति में डूब जाता है। 2025 में भी देश के कई स्थानों पर आयोजन होंगे।

भव्य मेले और कार्यक्रम

महाशिवरात्रि के दिन कई जगहों पर भव्य मेले लगते हैं। इन मेलों में भजन-कीर्तन, नृत्य-नाटिक और शिव कथाएं होती हैं। कई मंदिरों में रुद्राभिषेक और महाआरती का आयोजन होता है।

सांस्कृतिक गतिविधियाँ

महाशिवरात्रि के अवसर पर विभिन्न स्थानों पर सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन होता है। इसमें नृत्य, संगीत, नाटक और कलाकृतियों का प्रदर्शन होता है। ये कार्यक्रम लोगों को अपने मूल्यों से जोड़ते हैं।

“महाशिवरात्रि के दिन मंदिरों में भव्य रुद्राभिषेक और महाआरती का आयोजन होता है, जिसमें लोगों की भीड़ जुटती है।”

वर्षमहाशिवरात्रि की तारीखखास तथ्य
202318 फरवरीमहाशिवरात्रि के दिन त्रिकोण योग बनेगा।
20248 मार्चत्रिकोण योग लगभग 300 वर्ष बाद बनेगा।
202526 फरवरीज्योतिष के अनुसार कुछ राशियों के लिए शुभ होगा।

महाशिवरात्रि के लिए तैयारियाँ

शिवरात्रि 2025 केवल कुछ दिन दूर है। इस पवित्र त्योहार के लिए घर को साफ और खुशनुमा बनाना जरूरी है। हम शिव जी की मूर्ति या शिवलिंग को एक शुद्ध स्थान पर रखते हैं।

घर की सजावट

महाशिवरात्रि के दिन घर को सजाने के लिए कई तरीके हैं। दीपक जलाए जाते हैं, माला और फूल लगाए जाते हैं। शिव जी की तस्वीरें या मूर्तियाँ रखी जाती हैं।

सभी कमरों को साफ और सुंदर बनाया जाता है। इससे भगवान शिव के आगमन का स्वागत किया जा सके।

पूजा सामग्री की सूची

  • बेलपत्र
  • धतूरा
  • भांग
  • दूध, दही, शहद
  • गंगाजल
  • चंदन और कुमकुम
  • अक्षत
  • फूल और अगरबत्ती

इन सामग्रियों को एकत्रित करना महत्वपूर्ण है। इससे शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा सुचारू रूप से हो सकती है।

महाशिवरात्रि 2025 का मुहूर्त बहुत शुभ है। घर को सुंदर और शुद्ध बनाकर, पूजा सामग्री इकट्ठा कर, हम इस उत्सव का लुत्फ उठा सकते हैं।

महाशिवरात्रि पर विशेष भोग

महाशिवरात्रि के दिन शिव जी को विशेष भोग दिया जाता है। यह भोग प्रभु के लिए होता है और भक्तों के लिए भी पवित्र माना जाता है।

भोग लगाने से पहले उपवास रखना और उसके बाद प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना जाता है।

भोग का महत्व

भोग लगाने का मुख्य उद्देश्य शिव जी को प्रसन्न करना है। यह अभिषेक, अर्चना और पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है।

भोग में शिव जी को प्रिय चीजों का चयन किया जाता है। इससे उनकी कृपा प्राप्त हो सकती है।

लोकप्रिय भोग के प्रकार

  • भांग का शरबत
  • ठंडाई
  • दूध
  • फल
  • मिठाई

कुछ स्थानों पर त्रिफला (आंवला, बहेड़ा और हरड़) का सेवन भी किया जाता है। यह भोग भक्तों को शिव जी के साथ एकता का अनुभव कराते हैं।

“महाशिवरात्रि पर शिव जी को भक्तिपूर्वक लगाया गया भोग उन्हें प्रसन्न करता है और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है।”

महाशिवरात्रि के बाद का समय

महाशिवरात्रि के अगले दिन सुबह स्नान करके व्रत का पारण किया जाता है। कई लोग इस दिन भी शिव मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। शिवरात्रि पर्व उत्सव 2025 के बाद होली का त्योहार आता है, जिसकी तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। यह समय आध्यात्मिक चिंतन और आत्म-मंथन के लिए उपयुक्त माना जाता है।

महाशिवरात्रि के बाद की पूजा

महाशिवरात्रि के अगले दिन, भक्त शिव मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन की पूजा भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह महादेव की विशेष कृपा प्राप्त करने का समय है। शिव मंदिर जाकर भक्त प्रसाद और आशीर्वाद लेते हैं।

अगले पर्वों की तैयारी

शिवरात्रि पर्व उत्सव 2025 के बाद होली का त्योहार आता है। इस अवसर पर घरों की सजावट, पूजा सामग्री की खरीदारी और मिठाई बनाने की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। साथ ही, परिवार और मित्रों से मिलने-जुलने और उत्सव मनाने की तैयारियाँ भी की जाती हैं। इस समय में आध्यात्मिक चिंतन और आत्म-मंथन करने का भी अच्छा मौका मिलता है।

FAQ

महाशिवरात्रि 2025 में कब मनाया जाएगा?

महाशिवरात्रि 2025 में 26 फरवरी को मनाई जाएगी। यह फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पड़ेगी। निशिता काल पूजा का समय रात 12:09 से 12:59 तक रहेगा।

महाशिवरात्रि का महत्व क्या है?

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन शिव जी की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के व्रत का ज्योतिष महत्व भी है, जो चंद्रमा की स्थिति से जुड़ा हुआ है।

महाशिवरात्रि 2025 की तिथि क्या है?

महाशिवरात्रि 2025 की तिथि 26 फरवरी है। रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय 06:19 PM से 09:26 PM तक, द्वितीय प्रहर 09:26 PM से 12:34 AM तक, तृतीय प्रहर 12:34 AM से 03:41 AM तक, और चतुर्थ प्रहर 03:41 AM से 06:48 AM तक रहेगा।

भारत में महाशिवरात्रि कैसे मनाया जाता है?

भारत के विभिन्न राज्यों में महाशिवरात्रि अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। कुछ स्थानों पर भव्य मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। शिव मंदिरों में विशेष पूजा और अभिषेक होता है। भक्त पूरी रात जागरण करते हैं और भजन-कीर्तन में शामिल होते हैं।

महाशिवरात्रि पर उपवास का क्या महत्व है?

महाशिवरात्रि पर उपवास रखना शुभ माना जाता है। कुछ लोग पूरा दिन निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि कुछ फलाहार करते हैं। व्रत के दौरान साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, फल और दूध का सेवन किया जा सकता है। उपवास से शरीर और मन की शुद्धि होती है।

महाशिवरात्रि के दौरान शिव मंदिरों का क्या विशेष महत्व है?

महाशिवरात्रि पर देश भर के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, महाकालेश्वर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। भक्त रात भर जागरण करते हुए शिव जी की आराधना करते हैं। मंदिरों को दीपों और फूलों से सजाया जाता है।

महाशिवरात्रि के अवसर पर क्या आयोजन होते हैं?

महाशिवरात्रि के अवसर पर कई स्थानों पर भव्य मेले लगते हैं। इन मेलों में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भजन-कीर्तन, नृत्य-नाटिका और शिव कथाओं का पाठ होता है। कई जगहों पर रुद्राभिषेक और महाआरती का आयोजन किया जाता है।

महाशिवरात्रि के लिए घर में क्या तैयारियां की जाती हैं?

महाशिवरात्रि की तैयारी में घर को साफ-सुथरा किया जाता है। शिव जी की मूर्ति या शिवलिंग को स्थापित करके पूजा स्थल तैयार किया जाता है। पूजा सामग्री में बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध, दही, शहद, गंगाजल, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल और अगरबत्ती शामिल होते हैं।

महाशिवरात्रि पर क्या विशेष भोग लगाया जाता है?

महाशिवरात्रि पर शिव जी को विशेष भोग लगाया जाता है। भांग का शरबत, ठंडाई, दूध, फल और मिठाई प्रमुख भोग हैं। कुछ स्थानों पर त्रिफला (आंवला, बहेड़ा और हरड़) का सेवन किया जाता है। भोग लगाने से पहले उपवास रखना और फिर प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना जाता है।

महाशिवरात्रि के बाद का समय क्या होता है?

महाशिवरात्रि के बाद सुबह स्नान करके व्रत का पारण किया जाता है। कई लोग इस दिन भी शिव मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि के बाद होली का त्योहार आता है, जिसकी तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। यह समय आध्यात्मिक चिंतन और आत्म-मंथन के लिए उपयुक्त माना जाता है।

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