
मां दुर्गा की पूजा नवरात्रि (navratri 2025 puja vidhi) पर्व की आत्मा है। देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो प्रेम, सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान की जननी हैं। नवरात्रि शब्द का अर्थ है “नौ रातें” और यह त्योहार माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की नौ दिनों तक चलने वाली आराधना है। इन नौ दिनों में भक्त व्रत रखते हैं, देवी को नौ रंग-रूपों में पूजते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं।
नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा की विशाल प्रतिमा और तस्वीरें सजाई जाती हैं, ताकि भक्त उनके सानिध्य में उपवास रख सकें। मां दुर्गा के इन नौ रूपों को नवदुर्गा कहते हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुश्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। चैत्र (वसंत) और शरद (पतझड़) ऋतु में आने वाले नवरात्रियों को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अंतिम दिन विजयादशमी पर माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था और भगवान राम ने रावण पर विजय पाई थी, इसलिए यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।
नवरात्रि 2025 की तिथियाँ और महत्व (navratri 2025 puja vidhi)
नवरात्रि प्रतिवर्ष चार बार आती है – चैत्र नवरात्रि (वसंत ऋतु), अषाढ गुप्त नवरात्रि (ग्रीष्म ऋतु), माघ गुप्त नवरात्रि (शीत ऋतु) और श्राद्धीय/शारदीय नवरात्रि (पतझड़ ऋतु)। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रियाँ सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च (रविवार) से 7 अप्रैल (सोमवार) तक रहेगी। वहीं श्राद्धीय नवरात्रि 22 सितम्बर 2025 (सोमवार) से 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) तक चलेगी। इन दिनों भक्त सुबह-शाम घर या मंदिर में मां दुर्गा की विधि विधान से आराधना करते हैं। नवरात्रि 2025 के दौरान हर दिन देवी के अलग रूप की पूजा और भजन की प्रथा है।
पूजा की तैयारी और सामग्री
पूजा आरंभ करने से पहले घर और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखकर शुद्ध करना चाहिए। पूजा के लिए लाल या आसमानी रंग की साड़ी/चुनरी, दीपक, धूप-दीप आदि उपलब्ध रखें। घटस्थापना के लिए निम्न सामग्री तैयार रखें:
- मिट्टी का विस्तृत घड़ा (घट) – इसमें सप्तधान्य (सात प्रकार के अनाज/बीज) बोकर एक स्थान पर रखें।
- कलश (ब्रास या मिट्टी का पवित्र पात्र) – इसमें गंगाजल या स्वच्छ जल भरें। कलश में पांच अशोक या आम के पत्ते, सुपारी, हल्दी की गांठ, दूर्वा घास, और कुछ सिक्के डालें।
- अक्षत (अक्षुर या चावल) – मां दुर्गा का अष्टदल (आठ कोण वाला मंच) तैयार करने के लिए।
- नारियल – पतले लाल वस्त्र (लाल कपड़ा/चुनरी) से लपेटकर कलश के मुख पर रखें।
- लाल वस्त्र (चुनरी या कपड़ा) – देवी की मूर्ति पर ओढ़ने और कलश की सजावट के लिए।
- पुष्पमाला, कपूर-अगरबत्ती, दीपक, दूर्वा, गुलाल, सिंदूर आदि पूजन सामग्री।
इन विशेष सामग्री से पूजन स्थान पर शुभ काल चिह्न (स्वस्तिक) बना लें। यह सब तैयार रखकर नवरात्रि के पहले दिन विधिपूर्वक पूजा आरंभ की जाती है।
घटस्थापना विधि
नवरात्रि की शुरूआत घटस्थापना से होती है, जब पूजन की शुरुआत में कलश (घट) प्रतिष्ठित किया जाता है। शुभ मुहूर्त में (प्रातःकाल, प्रतिपदा तिथि में) निम्न चरणों से कलश स्थापना करें:
- चरण 1: जिस स्थान पर पूजा होगी वहां गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। मिट्टी के पात्र में पहला लेयर मिट्टी और सात प्रकार के अनाज (सप्तधान्य) डालें। इसके बाद एक लाल रंग से स्वस्तिक चिन्ह बनाकर कलश रखने की चौकी रखें।
- चरण 2: कलश (घट) पर लोई बांधें और इसे जीर्ण-शीर्ण जल या गंगाजल से भरें। कलश में 5 आम या अशोक के पत्ते, एक सुपारी, थोड़े सिक्के, अक्षत, दूर्वा घास और हल्दी की गांठ भी डालें।
- चरण 3: अब नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के मुख पर रखें। उसके ऊपर चावल से बना अष्टदल (अक्षत) रखकर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। प्रतिमा पर लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ाएं। कलश स्थापना के साथ कई भक्त अखंड दीपक भी जलाते हैं।
इन क्रियाओं से घटस्थापना पूरी होती है और देवी दुर्गा को आह्वान कर उनकी अराधना आरंभ की जाती है।
नौ दिन की पूजा विधि
नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी के एक स्वरूप की पूजा की जाती है। पारम्परिक रूप से प्रत्येक दिन निम्नानुसार देवी की विशेष पूजा होती है:
- प्रथम दिन (प्रतिपदा): मां शैलपुत्री की पूजा (घटस्थापना सहित)।
- द्वितीय दिन: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा।
- तृतीय दिन: मां चंद्रघंटा की पूजा।
- चतुर्थी दिन: मां कुश्मांडा की पूजा।
- पंचमी दिन: मां स्कंदमाता की पूजा।
- षष्ठी दिन: मां कात्यायनी की पूजा।
- सप्तमी दिन: मां कालरात्रि की पूजा।
- अष्टमी दिन: मां महागौरी की पूजा एवं कन्या पूजन।
- नवमी दिन: मां सिद्धिदात्री की पूजा एवं कन्या पूजन।
पूजा सामग्री: प्रत्येक दिन लाल या पीले रंग के फूल, अक्षत, नारियल, दही-चावल से बने प्रसाद, फूलों की माला, अगरबत्ती और दीपक से पूजा करें। देवी को चांदी-चढ़ावा, सिंदूर-गुलाल आदि प्रदान करें। घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ या दुर्गा आस्तषत नामावली का जाप करना विशेष लाभदायक रहता है।
व्रत नियम और भोजन
नवरात्रि के व्रत में विशेष सावधानी रखनी होती है. इन दिनों मांस-मदिरा और नॉन-वेज खानपान वर्जित होता है। प्याज-लहसुन भी नहीं खाया जाता; साधारण दालों और गेहूं-चावल के अनाजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर व्रत-फ्रेंडली खाद्य सामग्री प्रयोग की जाती है:
- अनाज: कुट्टू (कुट्टू का आटा), सिंघाड़े का आटा, समक के चावल (भंग)।
- अन्य पदार्थ: साबूदाना (बूंदी, खिचड़ी), मखाना (फॉक्सनट), आलू, कद्दू, लौकी इत्यादि सब्जियां।
- फल एवं दूध: सभी तरह के फल, दूध, दूध से बनी मिष्ठान (खीर, फेणी आदि), मेवा, सेंवई आदि पूज्यनीय हैं। दूध और चीनी का सेवन व्रत में अवश्य किया जा सकता है।
इस प्रकार सात्विक भोजन से शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है।
कन्या पूजन विधि (navratri 2025 puja vidhi)
नवरात्रि की अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। दस वर्ष तक की कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी सेवा की जाती है। आसान विधि कुछ इस प्रकार है:
- कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित करें। उन्हें फूल-मालाएं और सरगी करें।
- कन्याओं के पाँव को पहले शुद्ध जल, फिर दूध-पानी-फूल मिले जल से धोकर पवित्र करें।
- उनकी चरणस्पर्श करके आशीर्वाद लें। सिर पर लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं।
- श्रद्धा अनुसार प्रत्येक कन्या को चुनरी ओढ़ाएं और चावल, गुड़, फल, मिठाइयाँ आदि परांठा कराएं।
- भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा (नारियल, सौभाग्य सामग्री) देकर पुनः चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लें।
इस प्रकार कन्या पूजन से माता रानी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि का महत्व (navratri 2025 puja vidhi)
नवरात्रि शुद्धि और आत्मिक उन्नति का पर्व है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में शक्ति और भक्ति के विभिन्न गुण निहित हैं। यह त्योहार बुराई (अंधकार) पर अच्छाई (प्रकाश) की विजय का प्रतीक है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। व्रत, पूजा और धार्मिक कथा-श्रवण से मन और शरीर स्वच्छ हो जाते हैं। नवरात्रि का समापन दशहरा (विजयादशमी) पर्व पर होता है, जिसमें लंका दहन के साथ-साथ अहंकार का नाश भी धूमधाम से मनाया जाता है।
नवरात्रि 2025 के अवसर पर इस विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा एवं व्रत-नियमों का पालन कर हम देवी की कृपा पाकर अपने जीवन में उन्नति और सुख-शांति ला सकते हैं। जय माता दी!
स्रोत: उपर्युक्त जानकारी विभिन्न धार्मिक एवं समाचार स्रोतों से संकलित है